यूपी के शेल्टर होम्स में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट ने दिया सरकार को निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सभी शेल्टर होम्स में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने और उनके रखरखाव की प्रक्रिया के संबंध में अदालत को अवगत कराया जाए। कोर्ट ने प्रगति रिपोर्ट भी मांगी है।
प्रयागराज, एबीपी गंगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के देवरिया के शेल्टर होम में रह रही लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले में सुनवाई करते हुए प्रदेश के सभी शेल्टर होम्स की सुरक्षा और दूसरे इंतजामों को लेकर व्यापक निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि प्रदेश के सभी शेल्टर होम्स के रखरखाव, उनकी सुरक्षा और वहां रह रही अंतः वासियों की शिक्षा-स्वास्थ्य, व्यवसायिक प्रशिक्षण आदि के संबंध में अपनी कार्य योजना अदालत में प्रस्तुत करें। कोर्ट ने कहा है कि सभी शेल्टर होम्स में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने और उनके रखरखाव की प्रक्रिया के संबंध में अदालत को अवगत कराया जाए।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि शेल्टर होम्स में मूलभूत सुविधाओं, उनके प्रशासन और प्रबंधन कि क्या कार्ययोजना है इसे अदालत में प्रस्तुत किया जाए। अंतः वासियों को विधिक सहायता, व्यवसायिक प्रशिक्षण और चिकित्सा सुविधा प्रदान किए जाने के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जाए। कोर्ट ने महानिबंधक से भी कहा है कि पूर्व में जिला जजों को अपने जिले में मॉनिटरिंग कमेटी बनाने को लेकर दिए गए आदेश के पालन की स्थिति से अदालत को अवगत कराएं। कमेटी की मासिक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाए।
अदालत ने पूर्व में सभी जिला जजों को निर्देश दिया था कि अपने-अपने जिलों में मॉनिटरिंग कमेटी गठित कर अपने क्षेत्राधिकार वाले शेल्टर होम की नियमित जांच करें और रिपोर्ट हाईकोर्ट को प्रेषित करें। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से यह भी पूछा है कि प्रदेश में शेल्टर होम संचालित करने के लिए उसने क्या नियम या योजना बनाई है तथा उसमें में रहने वाले वासियों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए क्या व्यवस्था की जाएगी। देवरिया शेल्टर होम कांड की हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मांगी है।
उल्लेखनीय है कि देवरिया के शेल्टर होम मे रहने वाली अंतः वासियों के यौन शोषण का मामला पिछले साल सामने आने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत संज्ञान लेते हुए सुनवाई प्रारंभ की थी। कोर्ट के निर्देश पर इस मामले का खुलासा करने वाली लड़कियों को एक अज्ञात सुरक्षित स्थान पर रखा गया था। अन्य अंतःवासियों के पुनर्वास के संबंध में व्यापक निर्देश पारित किए गए थे । मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने इस मामले में अब तक हुई प्रगति की जानकारी मांगी है। प्रदेश सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।