UP News: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी में अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backword Class) की 18 जातियों को अनुसूचित जाति (Schedule Caste) में शामिल किए जाने के फैसले पर लगाई गई रोक को अगले आदेश तक के लिए फिर से बढ़ा दिया है. महाधिवक्ता बिल्डिंग में लगी आग में फ़ाइल जलने से हाई कोर्ट में आज इस मामले में बहस नहीं हो पाई. चीफ जस्टिस कोर्ट में इस मामले में सुनवाई अब अगले हफ्ते होने की उम्मीद है.
 


पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में दी गई थी चुनौती


यूपी की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव की सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में 22 दिसंबर 2016 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें ओबीसी की 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का फरमान जारी किया था. उस दौरान सभी जिलों के डीएम को यह आदेश दिया गया था कि वह इन जातियों को अब ओबीसी के बजाय एससी का सर्टिफिकेट जारी करेंगे. तत्कालीन अखिलेश सरकार के इस नोटिफिकेशन को गोरखपुर की संस्था डॉक्टर बी आर अंबेडकर ग्रंथालय ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 24 जनवरी 2017 को इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी. इसके बाद 24 जून 2019 को यूपी सरकार ने एक बार फिर से नया नोटिफिकेशन जारी किया और पुराने आदेश पर अमल करने की बात कही. इस नोटिफिकेशन में भी वही बातें लिखी गई थी जो अखिलेश सरकार के शासनादेश में थी. हालांकि यह नोटिफिकेशन पर भी हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया था.


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याचिका में दी गई है यह दलील


अदालत में जो याचिकाएं दाखिल की गई थी उनमें यह दलील दी गई थी कि अनुसूचित जातियों की सूची को राष्ट्रपति द्वारा तैयार कराया गया था. इसमें किसी तरह के बदलाव का अधिकार सिर्फ और सिर्फ देश की संसद को है. राज्यों को इसमें किसी तरह का संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है. ओबीसी की वह जातियां जिन्हें एससी में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी हुआ था उनमें मझवार, कहार, कश्यप,केवट,मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा गोडिया, मांझी और मछुआ शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से की तरफ से उनके वकील राकेश कुमार गुप्ता अदालत में पक्ष रख रहे हैं.


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