वाहनों का चालान देर से कोर्ट भेजने पर हाईकोर्ट ने मांगा डीजीपी से जवाब, कहा- लोग बेवजह होते हैं परेशान
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह ऐसा नियम बनाए जिसमें चालान पत्र हर हाल में तीन दिनों के अंदर कोर्ट में पहुंच जाए।
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में ट्रैफिक पुलिस द्वारा वाहनों की चेकिंग के दौरान उनका चालान होने पर चालान पत्र कोर्ट में भेजे जाने में अफसरों द्वारा लापरवाही बरते जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। अदालत ने इस मामले में यूपी के डीजीपी को नोटिस जारी कर उनसे जवाब देने को कहा है।
अदालत ने यूपी सरकार से कहा है कि वह ऐसा नियम बनाए जिसमें चालान पत्र हर हाल में तीन दिनों के अंदर कोर्ट में पहुंच जाए। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि वाहन चेकिंग से जुड़े अफसरों व दूसरे पुलिसकर्मियों की लापरवाही से जहां एक तरफ लोगों को बेवजह परेशान होना पड़ता है, वहीं इससे अदालतों में भी बेवजह के मुकदमों का बोझ बढ़ जाता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खण्डपीठ ने प्रयागराज के आलोक कुमार यादव की याचिका पर दिया है। आलोक इसी साल 26 अप्रैल को दोपहिया वाहन से कहीं जा रहे थे। शहर के जार्ज टाउन थाने के दरोगा कृष्ण कुमार सरोज ने चेकिंग के दौरान वाहन का चालान काटा और ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया।
चालान कोर्ट नहीं भेजा गया, जिससे याची जब्त लाइसेंस नहीं छुड़ा सका। उसने अधिकारियों से चालान कोर्ट भेजने की मांग की तो अधिकारियो ने याची के नाम एक फर्जी प्रार्थना पत्र लिखवाया जिसमें 29 जुलाई को याची से ड्राइविंग लाइसेंस खोने की बात लिखी गई, जबकि लाइसेंस पुलिस ने जब्त कर लिया था। मामला कोर्ट में पहुंचा तो सरकारी वकील इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इस पर हाईकोर्ट ने पिछले दिनों अफसरों को तलब कर लिया था।
अगली सुनवाई के दिन प्रयागराज के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, एसपी ट्रैफिक कुलदीप सिंह व दरोगा के के सरोज कोर्ट में हाजिर हुए और गलती मानी कि लाइसेंस खो जाने के कारण याची के वाहन का चालान नहीं भेजा जा सका। अधिकारियों ने यह भी माना इसी तरह तमाम दूसरे मामलों में भी चालान भेजने में काफी देरी होती है। पुलिस अफसरों ने बेहतर जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा।
कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि वाहनों के चालान भेजने में देरी के चलते पिछले दो सालों में 57 लाख से ज़्यादा मुकदमे लंबित हैं। पुलिस अचानक भारी संख्या में चालान कोर्ट भेज देती है। कोर्ट स्टाफ को उन्हें पंजीकृत कर मुकदमा संख्या देने में भारी दिक्कत उठानी पड़ती है। इसके साथ ही लोगों को भी इधर से उधर चक्कर लगाने पड़ते हैं। कोर्ट ने डीजीपी को प्रदेश भर से पुलिस से आंकड़े इकट्ठा कर स्वयं इस मामले को देखने, अगली सुनवाई पर हलफनामा दाखिल करने व तीन दिनों में चालान कोर्ट में भेजे जाने का दिशानिर्देश जारी करने का आदेश दिया।
दूसरी तरफ हाईकोर्ट की ही एक महिला वकील पूजा मिश्र ने नए मोटर व्हीकल एक्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी है और इसे अव्यवहारिक बताते हुए इसमें बदलाव किए जाने की अपील की है। पूजा मिश्र की इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच 27 सितम्बर को सुनवाई करेगी।