Prayagraj News: कार्यवाहक प्रिंसिपल के निलंबन पर HC ने लगाई रोक,पीठासीन अधिकारी बन चुनावी रैली में हुआ था शामिल
UP News: लोकसभा चुनाव में पीठासीन अधिकारी बना एक प्रिसिंपल राजनीतिक पार्टी में शामिल हो गया था. जिसके चलते उसे कालेज प्रबंधक ने निलंबित कर दिया था. वहीं हाईकोर्ट ने उसके निलंबन पर रोक लगा दी है.
Prayagraj News: लोकसभा चुनाव में पीठासीन अधिकारी नियुक्त किए गए एक इंटर कालेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल को राजनीतिक पार्टी की रैली में शामिल होने पर निलंबित किए जाने के मामले में बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कालेज प्रबंधक के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है और चुनाव आयोग व यूपी सरकार से जवाब तलब कर लिया है. कालेज प्रबंधक ने कार्यवाहक प्रिंसिपल को 16 अप्रैल को निलंबित कर दिया था.
यह मामला हापुड़ जिले के सीधीपुर इलाके में स्थित लाला बाबू मेमोरियल इंटर कालेज से जुड़ा हुआ है. यहां के कार्यवाहक प्रिंसिपल सुनील दत्त शर्मा की लोकसभा चुनाव में पीठासीन अधिकारी नियुक्त किये गए थे. इसी बीच उसने एक राजनीतिक दल की रैली में हिस्सा लिया, जिस पर चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारी की तरफ से एडीएम वित्त एवं राजस्व हापुड़ ने डीआईओएस के मार्फत कार्रवाई का आदेश दिया.
30 मई को होगी सुनवाई
कोर्ट ने कार्यवाहक प्रिंसिपल को काम करते रहने देने और नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है. अदालत ने इस मामले में केंद्रीय और राज्य चुनाव आयोग के साथ ही यूपी सरकार से तीस मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है. अदालत इस मामले में तीस मई को सुनवाई करेगी. कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता कार्यवाहक प्रिंसिपल को जांच में सहयोग करते रहने का निर्देश दिया है.
कॉलेज प्रबंधक ने किया था प्रिंसिपल को निलंबित
कालेज प्रबंधक ने याचिका के खिलाफ जांच बैठाते हुए उसे निलंबित कर दिया. अपने निलंबन आदेश को कॉलेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल ने याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी. राज्य चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा कि याची सरकारी सेवक है, इसलिए पीठासीन अधिकारी होते हुए उसने चुनाव रैली में हिस्सा लेकर कदाचार किया है.
क्या बोले कार्यवाहक प्रिंसिपल
कॉलेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल ने कहा कि सरकार ने खुद ही आदेश जारी कर अध्यापकों को चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति दी है. याची सरकारी सेवक नहीं है और बिना किसी विधिक आधार के उसे निलंबित किया गया है. जिस समय वह रैली में गया था तो उस समय पीठासीन अधिकारी का कार्य नहीं कर रहा था, जिस पर कोर्ट ने जवाब मांगा और याची को राहत दी है. मामले की सुनवाई जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल बेंच में हुई.
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