प्रयागराज: हाथरस के पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा और सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग के साथ ही यूपी में दर्ज रेप के मामलों में विवेचना और ट्रायल में तेजी लाए जाने का आदेश दिए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब देने को कहा है. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार की उस सिफारिश को भी फिलहाल खारिज कर दिया है, जिसमें इस जनहित याचिका को औचित्यहीन बताते हुए इसे सुनवाई के बगैर ही खारिज किए जाने की बात कही गई थी.


बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से अलग है याचिका
मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार को सभी बिंदुओं पर 14 अक्टूबर को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. अदालत इस मामले में 14 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी. ये पीआईएल हाथरस के पीड़ित परिवार की तरफ से दाखिल की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से अलग है.


वकील मंजूषा भारतीय ने दाखिल की थी जनहित याचिका
हाथरस के चर्चित मामले के साथ ही यूपी में रेप की घटनाओं से जुड़े मामलों को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में प्रैक्टिस करने वाली महिला वकील मंजूषा भारतीय ने पिछले दिनों हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की थी. इस जनहित याचिका में हाथरस मामले की सीबीआई जांच, पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा, उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम समेत कुछ अन्य मांगे तो की ही गईं थीं, साथ ही यूपी में होने वाली रेप की घटनाओं की विवेचना और ट्रायल में देरी और इस वजह से केस पर पड़ने वाले असर के बारे में भी बताया गया था.


सच सामने लाए जाने की गुहार
अदालत से रेप के मामलों की प्रोग्रेस रिपोर्ट सरकार से मंगाने और उसमें तेजी के लिए दिशा निर्देश दिए जाने की भी मांग की गई थी. जनहित याचिका में हाथरस में मीडिया और दूसरे लोगों को कई दिनों तक गांव में एंट्री नहीं दिए जाने पर भी सवाल उठाए गए थे और इस पाबंदी के पीछे का सच सामने लाए जाने की गुहार लगाई गई है.

कोर्ट ने 14 अक्टूबर को पक्ष रखने को कहा
मामले की सुनवाई जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई. यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने यूपी सरकार की तरफ से हाथरस मामले में तकरीबन सभी मांगे मंजूर कर लिए जाने और सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होने का हवाला देकर जनहित याचिका को मेरिट पर सुनवाई के बिना ही खारिज किए जाने की सिफारिश की. कोर्ट ने उनकी इस सिफारिश को फिलहाल मंजूर नहीं किया और सरकार को जनहित याचिका में उठाए गए सभी बिंदुओं पर 14 अक्टूबर को अपना पक्ष रखने को कहा है. याचिकाकर्ता की तरफ से उनके वकील सत्यवीर सिंह ने कोर्ट में दलीलें पेश कीं.



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