प्रयागराज, एबीपी गंगा। समाजवादी पार्टी के विधायक रहे जवाहर पंडित मर्डर केस में आरोपी बीजेपी नेताओं के मुकदमे वापस लेने के योगी सरकार के फैसले को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने योगी सरकार के इस फैसले को गलत मानते हुए उसकी व बीजेपी नेता की अर्जी को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस की बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि पूर्व सपा विधायक के कत्ल एक ट्रायल अंतिम दौर में हैं और कभी भी उसमे फैसला आ सकता है। मुकदमे का ट्रायल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चल रहा है।
ऐसे में हत्या के गंभीर आरोप में जेल में बंद आरोपियों के मुकदमे वापस लेना कतई सही नहीं है। अदालत ने मुकदमा वापसी के योगी सरकार के फैसले को जनहित भी नहीं माना। पूर्व विधायक की हत्या के आरोप में बीजेपी के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया व उनके दो भाइयों समेत चार लोग जेल में बंद हैं। उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया मौजूदा समय में प्रयागराज की मेजा सीट से बीजेपी की विधायक हैं, जबकि उनके साथ जेल में बंद बड़े भाई कपिलमुनि करवरिया सांसद और सूरजभान एमएलसी रह चुके हैं। हाईकोर्ट के आज के इस फैसले से योगी सरकार को बड़ा झटका लगा है। अदालत के फैसले के बाद पूर्व सपा विधायक जवाहर पंडित मर्डर केस में बंद करवरिया ब्रदर्स के जेल से बाहर आने के रास्ते फिर से बंद हो गए हैं। इस मुकदमे में अब ट्रायल फिर से शुरू हो सकेगा।
इलाहाबाद की झूंसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए जवाहर यादव उर्फ पंडित और उनके दो सिक्योरिटी गार्ड्स को 13 अगस्त 1996 को इलाहाबाद के ही पाश इलाके सिविल लाइंस में दिनदहाड़े कत्ल कर दिया गया था। जवाहर पंडित के परिवार वालों की शिकायत पर पुलिस ने इलाहाबाद के रसूखदार करवरिया परिवार के पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। करवरिया परिवार के तीन सदस्य बाद में जनप्रतिनिधि चुने गए।
सबसे बड़े भाई कपिलमुनि करवरिया साल 2009 में बीएसपी के टिकट पर फूलपुर के सांसद बने तो छोटे भाई उदयभान 2002 और 2007 में दो बार बीजेपी के टिकट पर इलाहाबाद की बारा सीट से विधायक चुने गए। मझले भाई सूरजभान करवरिया भी बीएसपी से यूपी विधान परिषद के सदस्य रहे।
विधायक जवाहर पंडित समेत ट्रिपल मर्डर केस की जांच पहले यूपी पुलिस ने की, बाद में तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के दखल पर जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गईं। सीबीसीआईडी की जांच भी उसकी तीन यूनिटों इलाहाबाद, वाराणसी और लखनऊ ने की। सीबीसीआईडी की लखनऊ यूनिट ने आठ साल बाद जांच पूरी कर साल 2004 में जो चार्जशीट दाखिल की, उसमे करवरिया ब्रदर्स समेत सभी पांच नामजद आरोपियों के नाम शामिल थे। इस मामले में करवरिया ब्रदर्स पिछले करीब साढ़े पांच सालों से जेल में बंद हैं।
योगी सरकार ने पिछले दिनों जवाहर पंडित मर्डर केस में करवरिया ब्रदर्स के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला किया। स्वर्गीय जवाहर पंडित के परिवार वालों ने इसके खिलाफ निचली अदालत में अर्जी दाखिल की और कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और मुकदमे का ट्रायल पूरा होने को है, इसलिए इस केस में मुकदमे वापस लिया जाना ठीक नहीं है। अदालत ने इन दलीलों को सही माना और मुकदमा वापसी की योगी सरकार की सिफारिश को नामंजूर कर दिया। करवरिया ब्रदर्स और यूपी सरकार ने निचली अदालत के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की बेंच ने भी निचली अदालत के फैसले को सही माना और करवरिया ब्रदर्स व यूपी सरकार की अर्जी को खारिज कर दिया। मौत के घाट उतारे गए पूर्व विधायक जवाहर पंडित के परिवार वालों ने अदालत में यूपी सरकार के इस फैसले का विरोध किया था।