प्रयागराज, मोहम्मद मोइन। रामपुर में सरकारी सड़क पर जौहर युनिवर्सिटी का गेट बनाए जाने के मामले में कार्रवाई का शिकार हुए सपा सांसद मोहम्मद आज़म खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सीधे तौर पर कोई दखल देने से इंकार करते हुए अर्जी को खारिज कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि सेशन कोर्ट में अपील पेंडिंग होने के बावजूद सीधे तौर पर हाईकोर्ट आना गलत है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में जौहर युनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को भी आज़म खान की तरह ही सेशन कोर्ट में अपना पक्ष रखने को कहा है। यही नहीं अदालत ने सेशन कोर्ट का फैसला आने तक एसडीएम के आदेश पर कोई अंतरिम स्थगन आदेश भी नहीं दिया है।


हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने से आजम खान व उनकी जौहर युनिवर्सिटी को बड़ा झटका लगा है। मामले की सुनवाई शुक्रवार को जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस एसएस शमशेरी की डिवीजन बेंच में हुई। जौहर युनिवर्सिटी की अर्जी में चांसलर आजम खान पर तकरीबन सवा तीन करोड़ रूपये के जुर्माने और गेट हटाए जाने के आदेश को चुनौती दी गई थी।


गौरतलब है कि रामपुर में सींगन खेड़ और लालपुर बांध बीच लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई सड़क पर मौलाना मोहम्मद अली जौहर युनिवर्सिटी का गेट बनवाया गया था। आज़म खान इस युनिवर्सिटी के चांसलर हैं। इस मामले में लोक निर्माण विभाग ने आपत्ति जताते हुए नोटिस जारी किया था। आज़म खान ने इसे एसडीएम कोर्ट में चुनौती दी थी। रामपुर की एसडीएम कोर्ट ने पचीस जुलाई को इस मामले में फैसला सुनाते हुए जौहर युनिवर्सिटी पर तीन करोड़ सत्ताइस लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा पंद्रह दिनों में गेट तोड़े जाने का भी आदेश जारी किया। इतना ही नहीं युनिवर्सिटी का कब्ज़ा हटने तक नौ लाख दस हज़ार रूपये प्रति माह की दर से लोक निर्माण विभाग को हर्जाना अदा करने का भी आदेश दिया। पंद्रह दिन में गेट नहीं तोड़े जाने पर उसे जबरन गिराए जाने का भी आदेश हुआ था।


जौहर युनिवर्सिटी ने इस मामले में रजिस्ट्रार के मार्फ़त हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। अर्जी में कहा गया कि चांसलर आज़म खान पर जुर्माना लगाना गलत है। गेट युनिवर्सिटी का बनवाया हुआ था, इसलिए गलत होने पर उसके खिलाफ ही कार्रवाई होनी चाहिए थी। यूपी सरकार की तरफ से बताया गया कि एसडीएम के आदेश के खिलाफ आज़म खान सेशन कोर्ट में अपील दाखिल कर चुके हैं, जिस पर कल सुनवाई होनी है। अपील दाखिल होने की वजह से हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इंकार कर दिया और रजिस्ट्रार को यह छूट दे दी कि अगर वह चाहें तो खुद भी सेशन कोर्ट में दस दिनों में अपील दाखिल कर अपनी बात रख सकते हैं। अदालत ने अर्जी को खारिज कर दिया।