Muslim Women on Hijab Controversy: कर्नाटक हिजाब विवाद केस में जजों की राय अलग-अलग होने की वजह से आज सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला नहीं सुनाया. अब मामला बड़ी बेंच को भेज दिया गया है. हिजाब का यह मुद्दा देशभर के साथ उत्तर प्रदेश में भी चर्चा का बड़ा विषय है. प्रदेश के अलीगढ़ में जामिया उर्दू कॉलेज ऑफ एजुकेशन की कुछ मुस्लिम शिक्षिका और छात्राओं ने अपना पक्ष रखा. जामिया के उर्दू कॉलेज की महिलाओं का कहना है कि हिजाब को किसी पर थोपना नहीं चाहिए. यह महिलाओं की आजादी का मुद्दा है. महिलाओं को डिसाइड करना चाहिए कि उन्हें हिजाब पहनना है या नहीं.


'इस्लाम में किसी तरह की पाबंदी नहीं है'
रशीदा नाम की एक महिला ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस्लाम के लिहाज से देखें, तो पर्दा (यानी हिजाब) जरूरी है. पर्दा आप फुल ड्रेस में भी कर सकते हैं और हवाया पहनकर भी कर सकते हैं. ऐसा कुछ नहीं है कि हवाया पहनेंगे तभी पर्दा होना चाहिए. हालांकि, जो लड़कियां हिजाब नहीं पहनना चाहतीं, उन्हें इसके लिए आजादी मिलनी चाहिए. इस्लाम धर्म में किसी तरह की कोई पाबंदी या जबरदस्ती नहीं है. रशीदा का कहना है कि बड़ी बेंच जो भी फैसला लेगी, वह सही और बेहतर होगा. यह महिलाओं पर निर्भर करता है कि वह हिजाब पहनें या न पहनें. वहीं, रशीदा ने ईरान में हो रहे हिजाब विवाद का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि वहां भी लड़कियां हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं. ऐसे में सरकार को जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए. ईरान सरकार को भी लड़कियों को स्वतंत्रता देनी चाहिए.


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'ईरान सरकार को महिलाओं पर हिजाब नहीं थोपना चाहिए'
वहीं, साहिबा नाम की एक छात्रा का कहना है कि हिजाब को लेकर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए. यह महिलाओं की मर्जी है. जबरदस्ती दबाव बनाकर न लड़कियों को हिजाब पहनाया जा सकता है और न ही उतरवाया जा सकता है. हिजाब होने या न होने पर भी लड़कियों को कोई समस्या नहीं है. ईरान की सरकार को भी जबरदस्ती महिलाओं पर हिजाब नहीं थोपना चाहिए. 


'हिजाब से मुस्लिम महिलाओं की पहचान होती है'
समरीन ने बताया कि मेरे अनुसार, हिजाब पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए. इस्लामिक नजरिए से देखा जाए तो अगर किसी ने डिसाइड किया है कि लड़कियों को हिजाब पहनना चाहिए, तो यह अच्छा निर्णय है. इस से मुस्लिम महिलाओं की पहचान होती है. कुरान के नजरिए से भी यह जरूरी है, लेकिन यह अंत में महिलाओं का फैसला है. जो लड़कियां हिजाब नहीं पहनना चाहतीं, वह न पहनें. 


'हिजाब मुस्लिम लड़कियों का फर्ज है'
छात्रा खुशी का कहना है कि इस्लाम के नजरिए से हिजाब लड़कियों का फर्ज है. लड़कियां इसमें सुरक्षित महसूस करती हैं. खुशी ने कहा कि लड़कियां अल्लाह की रहमत हैं. इसलिए उन्हें बुर्का दिया गया है. अगर हिजाब नहीं होगा तो मुस्लिम और नॉन मुस्लिम लड़कियों में क्या फर्क रह जाएगा. अगर लड़कियां हिजाब नहीं पहनना चाहतीं तो वह अपना जो चाहें करें. खुशी का कहना है कि इस्लाम में हिजाब एक बहुत अच्छी चीज है. ईरान में मुस्लिम लड़कियां हिजाब का विरोध कर रही हैं, जो देखकर उन्हें अच्छा नहीं लगा.