KBC Winner Himani Bundela: 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों' इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है कि आगरा (Agra) की हिमानी बुंदेला (Himani Bundela) ने, जिनकी एक हादसे में दोनों आंखों की रोशनी भले चली गई लेकिन हिम्मत की रोशनी से उन्होंने जो कर दिखाया वो उन लाखों करोड़ों लोगों के लिए एक मिसाल है जिनकी जिंदगी में कई बार ऐसा घटित हो जाता है कि लोग आगे जीने की तमन्ना छोड़ देते हैं. अपनी अथक मेहनत और लगन की वजह से हिमानी बुंदेला प्रसिद्ध रियलिटी शो "कौन बनेगा करोड़पति" (Kaun Banega Crorepati) के 13वें सीजन में करोड़पति बन कर निकली हैं. उन्होंने अपनी मेहनत लगन और कॉन्फिडेंस के साथ अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के सभी सवालों के ठीक से जवाब दिए और उसका एक नतीजा रहा कि उन्होंने एक करोड़ रुपए जीते.


परिवार का मिला सपोर्ट 
दसवीं की पढ़ाई के दौरान एक दुर्घटना में अपनी दोनों आंखों की रोशनी गंवाने वाली हिमानी बुंदेला के केबीसी में करोड़पति करने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. हिमानी बताती हैं कि 12-13 साल से वो लगातार केबीसी में ट्राई कर रही थी, अब जाकर उनकी मेहनत और किस्मत ने उनको अपेक्षित नतीजे दिए हैं. हिमानी कहती हैं कि शब्दों में इस खुशी का बखान कर पाना उनके लिए संभव नहीं है. इस कामयाबी को लेकर उनके परिवार का जबरदस्त सपोर्ट रहा है. 


बेटी की उपलब्धि पर गर्व 
हिमानी बुंदेला के परिवार में पिता विजय सिंह बुंदेला टूरिस्ट ट्रेड से जुड़े हुए हैं. हालांकि, इस समय उनके दिन काफी संघर्ष पूर्ण बीत रहे हैं क्योंकि कोरोना के चलते उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. इसी बीच उनकी बेटी की उपलब्धि ने उनके घर के संघर्षों को पूरी तरह दूर कर दिया है. परिवार में पिता विजय बुंदेला के अलावा मां सरोज बुंदेला, बहन चेतना सिंह बुंदेला, भावना बुंदेला, पूजा बुंदेला और भाई रोहित सिंह बुंदेला हैं. 


ऐसे की तैयारी 
आगरा के राजपुर चुंगी निवासी हिमानी का कहना है ऑडियो कंटेंट सुनकर उन्होंने इसकी तैयारी की थी. चूंकि पिछले कई सालों से वो "कौन बनेगा करोड़पति" में जाने का प्रयास कर रही थी इसलिए उनकी जनरल नॉलेज काफी अच्छी हो गई थी. हिमानी केंद्रीय विद्यालय वन आगरा में प्राइमरी टीचर भी हैं और ऐसे में बच्चों को पढ़ाने का अनुभव भी उनकी इस सफलता में काम आया. साथ ही घर के माहौल ने भी इसमें बड़ा रोल निभाया है.


मेहनत से हासिल किया मुकाम 
हिमानी बुंदेला ने एक हादसे में अपनी आंखों की रोशनी गंवाने के बाद भी पढ़ाई जारी रखी और 12वीं पास करने के बाद डॉ शकुंतला मिश्रा रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. साल 2017 में हिमानी बुंदेला का सिलेक्शन केंद्रीय विद्यालय में प्राइमरी शिक्षक के तौर पर हुआ. पहली पोस्टिंग बलरामपुर के केंद्रीय विद्यालय में मिली बाद में 2019 में तबादला आगरा में हो गया तब से यहां रहकर ही अध्यापन कार्य कर रही हैं. 


पूरा करना चाहती हैं ये सपना
शो में जीती हुई राशि को लेकर उनका क्या प्लान है इस पर उनका कहना है कि वो ऐसे दिव्यांग बच्चों के लिए कुछ बड़ा करना चाहती हैं जो मुख्यधारा से कट जाते हैं. उनकी जिंदगी में कैसे बेहतरी हो और कैसे उनका समग्र विकास हो, इसके लिए जीती हुई रकम से बड़ा सेंटर खोलना चाहेंगी. हिमानी बुंदेला की कहानी लोगों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है.  



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