(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'दाल में पहले से काला था..', हिंडनबर्ग के खुलासे पर सपा ने की सेबी चीफ माधवी बुच के इस्तीफे की मांग
UP News: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद समाजवादी पार्टी ने सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच का इस्तीफा मांगा हैं और तत्काल उनका पासपोर्ट जब्त किए जाने की मांग की है.
UP Politics: अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की चीफ माधवी बुच को लेकर बड़ा खुलासा किया है. जिसके बाद हड़कंप मच गया है. रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के अड़ानी ग्रुप के विदेशी फंड में हिस्सेदारी का दावा किया है. इस खुलासे के बाद सियासत तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने इस मामले में सेबी चेयरमैन का इस्तीफा मांग लिया है.
सपा नेता ने कहा कि सेबी की कुर्सी पर सबसे बड़े चोर बैठे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल सेबी चेयरमैन माधवी बुच का इस्तीफा लेना चाहिए. आईपी सिंह ने एक्स पर लिखा- 'सोमवार सुबह 9 बजे से पूर्व प्रधानमंत्री सेबी की चेयरमैन को इस्तीफा देने का आदेश दें. शेयर बाजार देश की आत्मा है और उस कुर्सी पर सबसे बड़ा चोर बैठी हुई है. ED CBI DRI गहनता से पति और पत्नी की विदेशों में जमा हो रही अवैध कमाई की जांच करें. तत्काल उनका पासपोर्ट जमा कराया जाय. दाल में पहले से काला था जिसका खुलासा अब हुआ है.'
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में बड़ा दावा
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच के खिलाफ एक नया हमला किया है. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी.
हिंडनबर्ग ने अडानी पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया, “सेबी ने अदाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है.”
शॉर्ट-सेलर ने (मामले से पर्दा उठाने वाले) “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते हुए कहा, “सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी.”
कथित तौर पर समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों को नियंत्रित करते थे. हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन फंडों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था.