Uttarakhand News Today: उत्तरकाशी में 55 साल पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. करीब दो महीने पहले इस मस्जिद को अवैध बताने वाले एक धार्मिक संगठन ने हाल ही में जनाक्रोश रैली का ऐलान किया था. इसके बाद शहर में माहौल तनावपूर्ण हो गया. 


जिसके चलते पुलिस और प्रशासन को सख्त कदम उठाने पड़े. पथराव और लाठीचार्ज की घटनाएं सामने आईं, पूरे मामले में आठ नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है.


इलाके में धारा 163 लागू
घटना के तीसरे दिन शनिवार को उत्तरकाशी में बाजार खुले, लेकिन यहां अभी भी मामूली तनावपूर्ण स्थिति है. इसी क्रम में प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए धार्मिक संगठन के तीन प्रमुख पदाधिकारियों जितेंद्र सिंह, सोनू नेगी और सूरज डबराल को गिरफ्तार किया है. इन्हें धारा 163 के उल्लंघन और पहले से दर्ज मुकदमों के चलते हिरासत में लिया गया है.


प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल की जिला इकाई के अध्यक्ष सुभाष बडोनी ने व्यापारियों की एकजुटता की सराहना करते हुए दिवाली तक प्रतिष्ठानों को साप्ताहिक बंदी से छूट देने का आग्रह किया. उनका कहना है कि व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों को खोले रखने का फैसला किया है ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो.


मस्जिद के खिलाफ लगे नारे
इस मस्जिद को लेकर विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब एक धार्मिक संगठन ने इसे अवैध बताते हुए प्रदर्शन शुरू किया. संगठन का कहना था कि मस्जिद लगभग 2 नाली जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई है. इसके बाद 6 सितंबर को अवैध मीट दुकानों के खिलाफ किए गए जुलूस में भी मस्जिद के खिलाफ नारेबाजी हुई.


उत्तरकाशी के बाड़ाहाट क्षेत्र में स्थित यह मस्जिद वर्ष 1969 में बनाई गई थी. उस समय एक व्यक्ति ने दूसरे समुदाय के सात लोगों को करीब 4 नाली और 15 मुठ्ठी जमीन बेची थी. लेकिन वर्ष 2005 में मस्जिद की जमीन का दाखिला खारिज कर दिया गया, जिससे स्थिति और जटिल हो गई. 


सितंबर माह में इस मस्जिद को लेकर दोबारा विवाद शुरू हो गया, जब संगठन ने इसे अवैध बताते हुए जिला प्रशासन से सूचना अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगी. आरटीआई के जरिए मिली जानकारी को आधार बनाकर संगठन ने इसे अवैध करार दिया, जबकि जिला प्रशासन ने सूचना को अधूरी मानते हुए स्थिति स्पष्ट करने का वादा किया. 


निजी जमीन पर बनी है मस्जिद
इस बीच दूसरे समुदाय ने भी मस्जिद से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज जिला प्रशासन को सौंपे, जिससे कुछ समय के लिए विवाद शांत हो गया. अक्तूबर माह में जनाक्रोश रैली का आयोजन होते ही विवाद फिर से बढ़ गया. इसके चलते प्रशासन को 21 अक्तूबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट करना पड़ा कि मस्जिद सरकारी भूमि पर नहीं बल्कि निजी जमीन पर स्थित है.


प्रशासन के प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, यह उत्तर प्रदेश सरकार के मुस्लिम वक्फ विभाग के गजट में भी दर्ज है. इसके बावजूद विरोध कर रहे संगठन ने इसे मानने से इंकार कर दिया है. वर्तमान में यहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, हालांकि प्रशासन और पुलिस मामले को शांतिपूर्वक हल करने की कोशिश जुटा हुआ है.


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