आगरा. नाम बदलने की राजनीति फिर तेज़ हो चली है. सोमवार को आगरा मंडल की समीक्षा के दौरान ताजमहल के पास बन रहे मुगल म्यूजियम का नाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदलकर छत्रपति शिवाजी के नाम पर रखने के आदेश दिए हैं. अखिलेश सरकार में मुगल म्यूजियम बनने की घोषणा के बाद से ही इसका नाम मुगल म्यूजियम रखने पर आपत्ति दर्ज की गई थी. आगरा के इतिहासकार राजकिशोर राजे ने प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बाबर को मुगल की बजाय तुर्क बताते हुए स्वयं बाबर द्वारा मुगलों के अत्याचार की कहानी इतिहास में दर्ज होने की बात बताई थी. उन्होंने अपील की थी कि आगरा को मुगलों ने नहीं बसाया था बल्कि इसके होने के प्रमाण सात हजार साल से मिल रहे हैं. उन्होंने म्यूजियम का नाम अग्रवन करने की भी अपील की थी.


कई किताबें लिख चुके हैं राजकिशोर


आगरा के इतिहासकार राज किशोर राजे शहर के इतिहास के बारे में कई किताबें लिख चुके हैं. इन्होंने फतेहपुर सीकरी में म्यूजियम के अंदर अकबर के दरबार के नवरत्नों की मूर्तियां लगने पर नवरत्नों के न होने की बात प्रमाणित की थी और सालों से चली आ रही आगरा किले की जेल में शिवाजी महाराज के बन्द होने की बात का खण्डन भी प्रमाणिकता के साथ सरकार की मुहर के साथ करवाया था.


मुगलों की आलोचना


बाबर की आत्मकथा 'बाबर नामा' के हिंदी अनुवाद मुगलकालीन भारत-बाबर के पेज 254 पर मुगलों द्वारा खुद पर किये अत्याचार की जानकारी के साथ मुगलों को अभागा कहा गया था. इसके साथ पेज 542 पर हुमायूं के द्वारा मुगलों की जमकर आलोचना के साथ लिखा गया है कि यदि मुगल कौम फरिश्तों के रूप में हो तो भी वो बुरे होंगे. राज किशोर राजे का तर्क था कि डॉ एसआर शर्मा ने अपनी पुस्तक भारत में मुगल साम्राज्य में बाबर को पिता के पक्ष से तुर्क और मां की तरफ से बौद्ध बताते हुए बाबर को मुगल शासक कहे जाने पर आपत्ति भी जताई है.



मुगलों ने नहीं बसाया था आगरा


इसके साथ ही राजे का कहना था कि महर्षि जमदग्नि व उनके पुत्र भगवान परशुराम के रुनकता के आश्रम और कैलाश मंदिर की स्थापना का इतिहास है जो त्रेता युग में भी आगरा के होने को प्रमाणित करता है. इसका मतलब है कि मुगलों ने आगरा को नहीं बसाया था और मुगलों ने भारत मे योगदान न देकर सिर्फ अत्याचार ही किया है.


राज्यपाल को लिखी थी चिट्ठी


राजे ने साल 2015 में ही नहीं बल्कि 26 अक्टूबर 2017 को भी तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक को चिट्ठी लिख मुगल म्यूज़ियम के अलावा किसी अन्य नाम को रखे जाने की बात कही थी. राजे कहते हैं कि इसको लेकर आगरा के मंडलायुक्त रहे राममोहन राव ने मीटिंग बुलाई जिसमें नामों के सुझाव मांगे गए, तब भी हमने अन्य नाम सुझाए और इस नाम का विरोध किया था. तब उन्होंने कहा था कि मैं आपके सुझाव सरकार को भेज दूंगा.


राजकिशोर राजे इतिहास के स्थापित कई सारे तथ्यों का पहले भी खंडन कर चुके हैं. जिसमें मुगलों के बारे में उनकी अध्ययन के बाद टिप्पणी है कि बाबर मुगल नहीं बल्कि तुर्क था. ऐसे म्यूज़ियम किसी अन्य नाम से होना चाहिए.


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