बागपत गैंगवार में हिस्ट्रीशीटर प्रवीण उर्फ बब्बू की हत्या, 28 साल पहले शुरू हुई थी रंजिश
Up News: बागपत का ढिकौली गांव 10 साल बाद एक बार फिर गैंगवार से गोलियों से दहल उठा. कुख्यात बदमाश ज्ञानेंद्र ढाका ने हिस्ट्रीशीटर प्रवीण उर्फ बब्बू को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया.
Baghpat News: बागपत के चांदीनगर थाना क्षेत्र का ढिकौली गांव 10 साल बाद एक बार फिर गैंगवार से गोलियों से दहल उठा. गांव में कुख्यात बदमाश ज्ञानेंद्र ढाका ने अपने साथियों के साथ हिस्ट्रीशीटर प्रवीण उर्फ बब्बू को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया. उस पर बलकटी से भी प्रहार किए गए. घटना उस दौरान हुई जब साथ बैठकर पूर्व प्रधान के घर कालेज की प्रबंध समिति के चुनाव को लेकर बातचीत कर रहे थे. एकाएक हुई फायरिंग से गांव में सन्नाटा पसर गया है. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर ज्ञानेंद्र ढाका समेत दो आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है.
ढिकौली गांव के रहने वाले हिस्ट्रीशीटर प्रवीण उर्फ बब्बू व कुख्यात बदमाश ज्ञानेंद्र ढाका के बीच 28 साल से ग्राम पंचायत के चुनाव को लेकर रंजिश चल रही थी, लेकिन आठ साल पहले दोनों में समझौता हो गया था, जिसके कारण दोनों आपस में मिलते जुलते रहते थे. 28 अक्टूबर की देर रात प्रवीण और ज्ञानेंद्र गांव में ही पूर्व प्रधान जयकुमार के घर बैठकर कालेज के प्रबंध समिति के चुनाव को लेकर बातचीत कर रहे थे. इसी दौरान ज्ञानेंद्र के साथी ने प्रवीण पर पिस्टल से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी.
ज्ञानेंद्र ने बलकटी से प्रहार कर प्रवीण को अधमरा कर दिया. बीच बचाव के दौरान पूर्व प्रधान जयकुमार, धर्मपाल धनपाल उर्फ टीटी, राजकुमार घायल हो गया. दोनों बदमाश हथियार लहराते हुए फरार हो गए. लोगों ने प्रवीण को पिलाना सीएचसी में भर्ती कराया, जहां उसने दम तोड़ दिया. घटना को लेकर गांव में दहशत फैल गई. रात लगभग 12 बजे सूचना के बाद चांदीनगर एसओ संजय कुमार, सीओ खेकड़ा प्रीता व एसपी अर्पित विजयवर्गीय मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी लेने के बाद प्रवीण के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. घटना का मुकदमा प्रवीण के भाई नवीन उर्फ जग्गू ने ज्ञानेंद्र ढाका समेत दो बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है.
28 साल पहले शुरू हुई थी दोनों में रंजिश
ढिकौली गांव में ज्ञानेंद्र ढाका और प्रवीण उर्फ बब्बू के बीच खूनी रंजिश का सिलसिला वर्ष 1996 से शुरू हुआ, जिसने दोनों ओर से 16 से ज्यादा लोगों का खून बहा दिया गया. इस रंजिश की नींव गांव की प्रधानी को लेकर रखी गई थी. रंजिश के इतिहास के पन्ने पलटे तो पहला कत्ल संतर का हुआ, जिसके बाद दोनों गुट एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए. प्रधान प्रमोद ढाका, सुरेश, विकास, कृष्णपाल, जसवंत, अमरीश, योगेंद्र, ओमवीर व बबलू आदि भी इसी रंजिश में मारे गए थे.
वर्ष 2006 में ज्ञानेंद्र ने गांव में ही एक साथ तीन लोगों की हत्याएं कर दहशत फैला दी थी. लगभग आठ साल पहले दोनों में समझौता हो गया था, जिसके बाद दोनों आपस में मिलते जुलते रहते थे लेकिन ज्ञानेंद्र के मन में बदला लेने की आग सुलग रही थी. इसे प्रवीण नहीं भांप सका था. बदले की आग में ही रात के समय ज्ञानेंद्र ने प्रवीण को मौत के घाट उतार दिया.
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