बेहद खास है गोंडा की ये हाईटेक गौशाला, गौ वंशों को आश्रय देने के साथ ही लोगों को मिला रोजगार
गोंडा में बनाई गए हाईटेक गौ आश्रय केंद्र को दो भागों में बांटा गया है. एक भाग में नर गौ वंशों को और दूसरे भाग में मादा गौ वंशो को रखा गया है. पूरे गौ आश्रय केंद्र में पर्यावरण का भी विशेष ध्यान दिया गया है.
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गोंडा: उत्तर प्रदेश में कई गौशाला ऐसी हैं जहां पर बदइंतजामी का अंबार है. गोंडा जिले में भी कई गौशालाएं बदतर हालत में हैं. लेकिन, इस बीच एक गौ आश्रय केंद्र जिले का ही नहीं प्रदेश का मॉडल गौ आश्रय केंद्र बन गया है. गौ आश्रय केंद्र केवल गौ वंशों को आश्रय देने का ही नहीं लोगों को रोजगार देने का साधन भी बन गया है. इतना ही नहीं बहुत जल्द ही ये गौ आश्रय केन्द्र बिजली का भी उत्पादन करेगा. इस गौ आश्रय केंद्र में केवल गौ वंशों का संरक्षण ही नहीं किया जा रहा है बल्कि उनके गोबर का खाद के रूप में प्रयोग किया जा रहा है.
दिया गया रोजगार जिले के विकास खंड बेलसर के बदले पुर गौ आश्रय केंद्र का नाम अब लोगों की जुबान पर है. इस गौ आश्रय केंद्र की हकीकत जानने के लिए आपको गोंडा मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर तरबगंज तहसील के विकास खंड बेलसर जाना पड़ेगा. करीब 10 एकड़ में फैले हुए गौ आश्रय केंद्र में वर्मी कम्पोस्ट खाद, गोबर के लट्ठे मशीन से तैयार किए जाते हैं. इसकी देख रेख में करीब दो दर्जन मनरेगा मजदूरों को रोजगार भी दिया जा रहा है.
पशु चिकित्सालय भी बनाया गया है गौ आश्रय केंद्र को दो भागों में बांटा गया है. एक भाग में नर गौ वंशों को और दूसरे भाग में मादा गौ वंशो को रखा गया है. पूरे गौ आश्रय केंद्र में पर्यावरण का भी विशेष ध्यान दिया गया है. गौ आश्रय केंद्र पर 161 गौ वंशो को आश्रय दिया गया है. यही नही इस गौ आश्रय केंद्र में बीमार पशुओं का इलाज करने के लिए पशु चिकित्सालय भी बनाया गया है. पीने के लिए हौज के साथ तालाब की व्यवस्था भी की गई है. इस तालाब में मछली पालन कर आय भी अर्जित की जाती है.
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