HMPV को लेकर पूरी दुनिया में इस समय हड़कंप मचा हुआ है. वहीं आज हिंदुस्तान में भी कुछ केस मिलने के बाद लोगों के बीच चर्चाओं का दौर तेज है. इसी बीच एबीपी न्यूज़ ने BHU डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के डीन से बातचीत की. 2020 में कोविड काल के समय भी डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी BHU की तरफ से खास लैब तैयार किया गया था जिसके माध्यम से लोगों को कोरोना काल में टेस्ट व उपचार मिला था. 


 गोपाल नाथ ने बताया कि यह एक वायरस है जो सीधा फेफड़ों को इफेक्ट करता है, यह निमोनिया का कारण बनता है. यह एक पुराना वायरस है, पहली बार 25 साल पहले नीदरलैंड में डिक्टेट हुआ था, सिरा में 50 साल पहले पहचाना गया. इसलिए इसको कोविड से जोड़ना ठीक नहीं होगा. कोविड में वायरस बदल जाते थे. हमारे पब्लिक में पहले से ही वह एंटीबॉडी डेवलप है जिसकी वजह से सीरियस इंफेक्शन नहीं होना चाहिए. 5 साल से छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकता है, इसके अलावा गंभीर मरीज जिनका उपचार चल रहा है.


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लक्षण कोरोना से मिलता जुलता लेकिन...
प्रोफेसर ने कहा कि इसका सारा लक्षण पूरी तरह से कोरोना से मिलता जुलता है, जिसमें सर्दी जुखाम गले में खराश,निमोनिया बुखार, दाना निकलना शामिल है. इससे रिकवर किया जा सकता है. लेकिन पैनिक होकर कोरोना जैसी स्थिति नहीं करनी चाहिए. इससे बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है, इससे कोई अधिक नुकसान नहीं होगा.


उन्होंने कहा कि बचाव के लिए मास्क का प्रयोग करिए, अगर आपको ऐसे सिंपटम है तो खुद को आइसोलेट कर लीजिए. इसके अलावा डॉक्टर गोपाल नाथ ने यह भी बताया कि आखिर क्यों कोरोना बहुत तेजी से फैल गया.


बता दें सोमवार, 6 जनवरी को देश भर में तीन केस मिले हैं. इसमें 2 कर्नाटक और 1 गुजरात से संबंधित है. सभी मामलों में पीड़ितों की उम्र 1 साल से कम है. वहीं कर्नाटक के एक मामले में पीड़ित को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है