Holi 2023 Mathura: रंगों का त्योहार होली वैसे तो पूरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा (Mathura) में इसकी अलग ही छटां होती हैं. ब्रज भूमि (Brij Holi) में होली का अलग ही रंग देखने को मिलता है. यहां पर बसंत पंचमी (Basant Panchami) से ही होली की शुरुआत हो चुकी है. पूरी दुनिया में ब्रज ही एक ऐसी जगह है जहां पर होली (Holi 2023) को कई तरह से मनाया जाता है.
यहां कभी फूल, रंग, गुलाल तो कभी लठ और लड्डुओं के साथ होली खेली जाती है. इस होली को देखने के लिए दुनियाभर से लोग यहां पर पहुंचते हैं. आज फुलैरा दूज है. आज से यहां के सभी मंदिरों में अलग-अलग तरह से होली की शुरुआत हो जाती है.
फुलेरा दूज पर फूलों की होली
फागुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को फुलैरा दौज (21 फरवरी) हैं. आज बरसाना और वृंदावन के मंदिरों में खासतौर से फूलों की होली खेली जाती है. कहते हैं कि जब राधा रानी की दिनों तक भगवान कृष्ण से मिल नहीं पाईं थी तो वो उदास हो गईं थी, उनके उदास होने से बरसाना के सारे वन सूखने लगे. जब इसका पता कृष्ण को पता लगा तो उनसे मिलने पहुंचे. इसके बाद चारों तरफ हरियाली छा गई. इसके बाद कृष्ण ने राधा रानी के साथ फूलों से होली खेली और फिर सभी गोपियों उनपर फूल बरसाने लगीं. तभी से फूल की होली की शुरुआत हुई.
आज वृंदावन और बरसाना के सभी मंदिरों में फूलों से होली खेली जाती है. मंदिर के सेवादार यहां आने वाले भक्तों पर फूल बरसाते हैं. इसके लिए पहले से ही फूलों का ऑर्डर दे दिया जाता है. पूरा मंदिर परिसर गुलाब और गैंदे के फूलों से भर जाता है. यहां पर आज सुबह से ही फूलों की होली शुरू हो गई है और ये शाम तक इसी तरह चलती रहेगी.
जानें कब खेली जाएगी लठमार और लड्डूमार होली
वैसे तो मथुरा में 40 दिन पहले से ही होली की शुरुआत हो जाती है लेकिन प्रमुख तौर पर इसकी शुरुआत लड्डूमार होली से शुरू होती है. लड्डू मार होली राधा रानी की जन्मभूमि बरसाना से शुरू होती है. यहां पर राधा रानी के श्रीजी मंदिर में लड्डूमार होती है. इस बार 27 फरवरी को लड्डूमार होली खेली जाएगी. इस दिन बरसाना से नंदगांव निमंत्रण भेजा जाता है और फिर वहां से पुरोहित राधा रानी के मंदिर पहुंचते हैं जहां लड्डूमार कर उनका स्वागत किया जाता है.
28 फरवरी को यहां पर लठमार होली खेली जाएगी. जिसमें नंदगांव से आने वाले ग्वालों पर बरसाने की गोपियां लठ बरसाती है और वो ढाल से खुद को बचाते हैं. इसके अगले दिन यानी एक मार्च को बरसाने के ग्वाले नंदगाव जाएंगे और फिर नंदगांव की ग्वालिनें उन पर लाठियां बरसाएंगीं. ये ग्वाले भी खुद को ढाल से बचाते हैं.
इसके बाद 3 मार्च को श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के मंदिर में रंगों और गुलाल से होली खेली जाएगी. इस दौरान यहां आने वाले भक्तों पर रंगों और गुलाल से बरसात की जाएगी. इस दिन इतना रंग बरसता है पूरी धरती और आसमान में रंग ही रंग दिखाई देता है.
इस तरह से 6, 7 और 8 मार्च तक होली के कई कार्यक्रम यहां चलते रहेंगे. इस बार 12 मार्च को रंग पंचमी के दिन होली का समापन होगा.
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