काशी की गलियों में पालकी पर सवार होकर निकले महादेव, हो गई होली की शुरुआत
काशी के भक्तों ने बाबा विश्वनाथ पर गुलाल फेंककर होली की शुरुआत कर दी है। मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना लेकर जाते हैं, लिहाजा इस दिन को काशी में पर्व के रूप में मनाया जाता है।
वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दिन भक्तों ने बाबा की पालकी निकाली और उनके ऊपर अबीर गुलाल उड़ाकर होली भी खेली। मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना लेकर जाते हैं, लिहाजा इस दिन को काशी में पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसी के साथ ही काशी में होली की शुरुआत हो जाती है।
पालकी पर सवार बाबा विश्वनाथ भक्तों की टोली के साथ माता गौरा का गौना लेकर जैसे ही चले पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। हर तरफ अबीर और गुलाल उड़े। काशी के भक्तों ने बाबा विश्वनाथ पर गुलाल फेंककर होली की शुरुआत की। सर्वप्रथम भोलेनाथ की आरती उतारी गयी फिर बाबा विश्वनाथ पालकी पर विराजमान हुए और फिर उमड़ पड़ा आस्था का सैलाब।
बता दें कि, साल में एक बार महंत निवास से भगवान शंकर पालकी में सवार होते हैं उनके साथ माता पार्वती और गणेश जी भी उसी पालकी में सवार होते हैं। जैसे ही पालकी टेढ़ी नीम स्थित महंत निवास से विश्वनाथ गली की तरफ निकलती है भक्त अबीर और गुलाल उड़ाकर होली की शुरुआत करते हैं।
वैसे तो महाशिवरात्रि से ही काशी में होली का खुमार लोगों पर चढ़ने लगता है मगर परम्परा के अनुसार फाल्गुन शुक्ल की एकादशी तिथि यानी रंगभरी एकादशी के दिन से ही काशी में होली शुरू होती है। इस दिन आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। अब काशी होली तक रंगीन ही नजर आएगी।