Kanpur News: शायद ही कहीं होली सात दिनों तक लगातार खेली जाती हो, लेकिन कानपुर में ऐतिहासिक होली का आगाज होता है और सात दिन तक चलता है. यहां सात दिनों तक रंगों का त्योहार चलता है. क्रांतिकारी अंदाज में खेली जाने वाली होली कानपुर में क्रांतिकारियों की कहानियों को याद दिलाती है.
होली के दिन अंग्रेज हुकूमत के अफसरों ने यहां क्रांतिकारियों को होली खेलने से रोका था और उसके विरोध पर कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जिसके बाद आंदोलन हुए और फिर जब हुई क्रांतिकारियों की रिहाई तो खुशी में गंगा के घाट पर खेली गई होली और तभी से कानपुर में होली के सात दिन होली खेलने का रिवाज है.
रज्जन बाबू पार्क से ऐतिहासिक होली की शुरुआत होती है
कानपुर के हटिया क्षेत्र के रज्जन बाबू पार्क से कानपुर के ऐतिहासिक होली गंगा मेला की शुरुआत होती है. झंडा फेहरा कर यहां रंग के ड्रम सबसे पहले भैंस गाड़ियों में निकाले जाते थे. लेकिन समाज बदला और धीरे धीरे बदलाव हुए. अब यहां गंगा मेले का अलग अलग रंग देखने को मिलता है. लेकिन यहां रंगों का ठेला नहीं बल्कि रंगों से भरे ड्रम को ट्रैक्टर ट्रॉलियों में लोग लेकर निकलते हैं. कोई घोड़े पर तो कोई ऊंट की पीठ पर बैठकर अलग अलग रंग अंदाज में होली के रंगीन में सराबोर होकर गुजरता है. सड़कों पर हर ओर रंग गुलाल और पानी की फुहार देखने को मिलती है. नाचते गाते झूमते लोग दिखाई देते हैं. रंग इतना की किसी को पहचान पाना मुमकिन नहीं होता है.
ऐतिहासिक गंगा मेले का शुभारंभ हटिया से शुरू होता है. फिर चौक सराफे, बड़ा चौथा कोतवाली ,शिवाला तिराहा, नयागंज माल रोड होकर बिरहाना रोड जाता है और फिर कानपुर जेल से होते हुए सरसैया घाट पर इसका समापन किया जाता है और यहीं पर क्रांतिकारियों की याद में इस ऐतिहासिक गंगा मेला की शुरुआत की जाती है. इस गंगा मेला की खुशी में हजारों लोग सड़कों पर झूमते नाचते दिखाई देते हैं. रंगों की फुहार होती है, गुलाल उड़ता है और लोग खुशी में दूसरों के गले मिलते हैं.
पूरे शहर में हर कोई गंगा मेला में शामिल होता है
रंगों की टोली का बड़ा समूह शहर के एक स्थान से उठकर पूरे शहर के अलग-अलग क्षेत्र से होकर गुजरता है. लोग जुड़ते जाते हैं और यह गंगा मेला किसी काफिले में तब्दील हो जाता है. शहर के सभी अधिकारी नेता और सभी प्रतिष्ठित लोग इस ऐतिहासिक गंगा मेला की शान बढ़ाते हैं. क्रांतिकारियों को याद करते हैं और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ किए गए आंदोलन का जश्न भी मनाते हैं.
यह भी पढ़ें- चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू, पहले दिन 60 हजार श्रद्धालुओं ने कराया पंजीकरण