Holika Dahan 2023: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर (Saharanpur) के एक गांव में होलिका दहन (Holika Dahan) नहीं किया जाता है. बरसी गांव का मानना है कि अगर यहां होलिका दहन किया जाएगा तो भगवान शिव के पैर जल जाएंगे और इसलिए 'होलिका दहन' नहीं किया जाता है. स्थानीय महिलाएं होली की पूर्व संध्या पर 'होलिका दहन' करने के लिए बगल के गांव में जाती हैं.


बरसी में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत जितना पुराना है, और इस लोकप्रिय कथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मान्यता के अनुसार, मंदिर कौरवों और पांडवों द्वारा बनाया गया था, लेकिन कुछ असहमति के कारण, पांच पांडवों में से एक भीम ने अपनी गदा का इस्तेमाल किया और मंदिर के प्रवेश द्वार की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर बदल दी. इस वजह से लोगों का मानना है कि होलिका की आग जलाने से भगवान शिव के पैर जल जाएंगे.


किसी ने परंपरा को बदलने की कोशिश नहीं की- ग्राम प्रधान
ग्राम प्रधान आदेश चौधरी ने कहा कि होलिका दहन के लिए सभी महिलाएं बगल के गांव तिक्रोल में जाती हैं. मुझे नहीं पता कि यह अनुष्ठान कब से शुरू हुआ लेकिन यह काफी समय से ऐसा ही रहा है. यह एक परंपरा है और सीधे धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है. किसी ने भी इसे बदलने की कोशिश नहीं की है. मुझे नहीं लगता कि कोई भी इसे बदलेगा.


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बता दें कि होलिका दहन की पूजा में सबसे पहले गणपति जी का स्मरण करें. फिर होलिका पर गंगाजल छिड़कें. अब हल्दी, कुमकुम, अक्षत, गुलाल, नारियल, उपले की माला, फूल, गेहूं की बालियां होलिका को अर्पित करें. सभी सामग्री मंत्रोंच्चार के साथ चढ़ाएं. प्रह्लाद, नृरसिंह भगवान के मंत्रों का जाप करें. फिर होलिका में जल चढ़ाते हुए 7 बार परिक्रमा करें. कहते हैं होलिका की पूजा पुरुषों को करना चाहिए.