Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तैयारी तेज कर दी है. इसके लिए यूपी बीजेपी (UP BJP) में मंथन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. लोकसभा की हारी सीटों पर अब खुद गृह मंत्री अमित शाह मंथन करेंगे. सूत्रों के अनुसार 16 जनवरी को अमित शाह अंबेडकरनगर (Ambedkar Nagar) और बलरामपुर (Balrampur) में रहेंगे.
2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व जुट गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने यूपी में 80 में से 64 सीटें जीती थी. जो 2014 के मुकाबले नौं सीटें कम जीती थी. हालांकि नतीजों में अंतर की एक बड़ी वजह 2019 के चुनाव में सपा बसपा गठबंधन भी रहा था. जबकि जून 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने आजमगढ़ और रामपुर की सीट भी अपने खाते में कर ली. अब बची हुई 14 सीटों पर बीजेपी की नजर है.
2019 में बीजेपी अंबेडकर नगर सीट 96 हजार वोट से हारी थी. जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में भी अंबेडकरनगर लोकसभा की पांचों विधानसभा बीजेपी हार गई थी. अंबेडकरनगर को बड़ी चुनौती मानते हुए अब खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अब मंथन करेंगे. इसके अलावा बलरामपुर जिले की श्रावस्ती लोकसभा सीट बीजेपी केवल पांच हजार वोट से हार गई थी. यहां भी अमित समीक्षा करेंगे. पूर्वांचल के बाद गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम में भी मंथन करेंगे.
पश्चिम में भी करेंगे मंथन
सूत्रों के अनुसार 17 जनवरी को अमित शाह सहारनपुर और बिजनौर का दौरा करेंगे. जहां 2019 के चुनाव में सहारनपुर की सीट 22 हजार वोट से और बिजनौर 70 हजार वोट से हारे थे. वहीं जिन चारों सीटों पर अमित शाह का दौरा होना है, यह सभी बीएसपी के पास है. अमित शाह की बैठकों के साथ ही उनकी जनसभाओं की भी तैयारी हो रही है. हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव के बाद अमित शाह का यह पहला यूपी दौरा होगा.
उपचुनाव ने यूपी में कई समीकरण बदले भी हैं. पश्चिमी यूपी की बात करें तो सपा रालोद गठबंधन के साथ चंद्रशेखर की मौजूदगी में दलित वोटरों का रुख बदला दिखा है. जबकि जाट वोटर भी जयंत चौधरी के पक्ष में खींचे नजर आए हैं. वहीं अब 2024 में बीजेपी को जीत के लिए दोनों का ही साथ चाहिए. सहारनपुर में इमरान मसूद कुछ समय पहले सपा का साथ छोड़ बसपा में शामिल हो चुके हैं.
2019 में सपा बसपा गठबंधन के बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर इमरान ने दो लाख से अधिक वोट हासिल किए थे. ऐसे में बसपा में आने के बाद दलित मुस्लिम वोट की जुगलबंदी और मजबूती दे सकती है.