बहुजन समाज पार्टी का अगला उत्तराधिकारी कौन? मायावती ने भले इसकी सीधी घोषणा अब तक नहीं की है, लेकिन 3 तस्वीरें इस बात की संकेत भी दे रही हैं. इसके साथ ही यूपी एक बार दलित राजनीति की नई दशा और दिशा भी तय होती दिख रही है. लेकिन मायावती की तरह आकाश आनंद का रास्ता इतना आसान नहीं होगा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर भी उभरते हुए दलित नेता हैं जो मायावती को सीधी चुनौती देने का दम भर रहे हैं.
बीएसपी की स्थापना 1984 को कांशीराम ने की थी. कांशीराम की उत्तराधिकारी मायावती थीं और यूपी में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा भी बनीं. साल 2001 में बीएसपी की कमान मायावती के पास आ गई. इसके बाद पार्टी को कई उतार-चढ़ाव देखना पड़ा. बीएसपी की कमान मिलने के बाद मायावती 2 बार सरकार बनाने में कामयाब रहीं, लेकिन 2012 के बाद पार्टी का परफॉर्मेंस लगातार गिरता गया.
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. बीएसपी के इस परफॉर्मेंस के पीछे मायावती की निष्क्रियता को माना गया, तब से ही बीएसपी में नए उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थी.
पहले 3 मीटिंग की 3 तस्वीर को देखिए...
1. यह तस्वीर 23 अगस्त की है. लोकसभा चुनाव को लेकर मायावती ने लखनऊ में मीटिंग बुलाई थी. बैठक में शामिल होने के लिए आकाश आनंद को आनन-फानन में बुलाया गया था. आनंद राजस्थान दौरे पर थे. बीएसपी ने मीटिंग के बाद अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की.
तस्वीर में मायावती के साथ आकाश और उनके पिता दिख रहे हैं. आकाश के पिता बीएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
(Source- BSP)
2. यह तस्वीर 14 अगस्त की है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आकाश आनंद ने बीएसपी के हजारों नेताओं के साथ सरकार के खिलाफ रोड-शो निकाला. रोड-शो के बाद बीएसपी के नेताओं ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा.
बीएसपी के ज्ञापन में दलितों और आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे को उठाया गया था. जानकारों की मानें तो पहली बार बीएसपी का कोई बड़ा नेता सड़क पर सीधे लोगों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुआ. प्रदर्शन के मुद्दे को मायावती ने भी उठाया.
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3. यह तस्वीर 8 जुलाई की है. पंजाब और हरियाणा के नेताओं की मायावती ने नई दिल्ली में बैठक ली थी. मीटिंग में सभी नेताओं को मायावती के सामने प्लास्टिक कुर्सियों पर बैठाया गया था, लेकिन आकाश और उनके पिता आनंद के लिए सोफा लगाया गया था.
आकाश और उनके पिता मायावती के बाएं साइड में बैठे नजर आए. मायावती इस मीटिंग में राज्य पदाधिकारियों से युवा नेता को खास तरजीह देने का आदेश दिया. सोशल मीडिया पर यह तस्वीर भी खूब वायरल हुई.
(Source- BSP)
उत्तराधिकारी की रेस में आकाश सबसे आगे क्यों?
बीएसपी में बड़े और जमीनी नेताओं की कमी- 2014 के बाद बहुजन समाज पार्टी में पलायन का दौर शुरू हुआ. ब्रजेश पाठक, स्वामी प्रसाद मौर्य, राम अचल राजभर, लालजी वर्मा, इंद्रजीत सरोज, नसिमुद्दीन सिद्दीकी, नकुल दुबे, बृजलाल खाबरी जैसे दिग्गज नेता पार्टी से नाता तोड़ चुके हैं.
2007 के चुनाव में बीएसपी को पूर्ण बहुमत दिलाने में इन सभी नेताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी. यूपी की सियासत में अभी भी इन नेताओं की गिनती क्षेत्रीय क्षत्रप के रूप में होती है. इन नेताओं के जाने के बाद बीएसपी में अब जमीनी नेताओं का टोटा हो गया है.
रामजी गौतम और मुनकाद अली ही सिर्फ पुराने दिग्गज बचे हैं. सतीश मिश्रा की पहचतान रणनीतिकार के रूप में है. जानकारों का कहना है कि पार्टी के भीतर मची भगदड़ के बाद बीएसपी में एक बड़ा वैक्यूम खाली हो गया, जिसे भरने के लिए मायावती ने आकाश को आगे कर दिया.
बड़े नेताओं के न होने की वजह से पार्टी के भीतर आकाश का कोई खुलकर बगावत भी नहीं कर सकता है. वर्तमान में आकाश के पास बीएसपी संगठन का तीसरा बड़ा पद नेशनल कॉर्डिनेटर का है.
आकाश को 4 राज्यों का प्रभार- हाल ही में मायावती ने आकाश आनंद को एक साथ चार चुनावी राज्यों का प्रभार दिया है. यह राज्य है- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना. बीएसपी के इतिहास में पहली बार किसी नेता को एक साथ इन 4 राज्यों का प्रभार सौंपा गया है.
कांशीराम के जमाने में मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीएसपी का मजबूत जनाधार रहा है. अगर इन राज्यों में बीएसपी 2023 के चुनाव में ठीक-ठाक प्रदर्शन कर लेती है, तो सीधे तौर पर आकाश को इसका श्रेय मिलेगा. जानकारों का कहना है कि मायावती की कोशिश भी यही है.
बीएसपी के भीतर मायावती के बाद आकाश एकमात्र नेता हैं, जिन्हें 4 राज्यों के प्रभारी सीधे रिपोर्ट कर रहे हैं.
आकाश के लिए टूटे बीएसपी के पारंपरिक नियम- आम तौर पर बहुजन समाज पार्टी की कार्यनीति मंडल स्तर पर निर्भर रही है. मंडल स्तर पर मीटिंग कर जोनल अध्यक्ष सीधे अपने वोटरों को साधते रहे हैं. बीएसपी में इसे मूवमेंट नीति कहा जाता है.
कांशीराम के जमाने से ही पार्टी मीडिया और सोशल मीडिया के प्रयोग से बचती रही हैं. कांशीराम बड़े और विवादित मुद्दे पर भी जल्दी सफाई नहीं देते थे, लेकिन अब बीएसपी की कार्य करने का तरीका बदल गया है. बतौर कॉर्डिनेटर आकाश रोड-शो कर रहे हैं.
आकाश बीएसपी के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश में छोटी-छोटी रैली भी कर चुके हैं. आकाश संकल्प यात्रा के जरिए सीधे कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं. उनकी यात्रा में गाड़ियों का एक लंबा काफिला भी चलता है. पहली बार बीएसपी में कोई नेता इस तरह मूवमेंट को आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
मायावती ने बड़े नेताओं को आकाश के पीछे लगाया- समाचार एजेंसी आईएएनएस ने बीएसपी के एक वरिष्ठ नेताओं के हवाले से बताया कि मायावती ने पार्टी के सीनियर नेताओं को आकाश के पीछे तैनात किय है. आकाश इन नेताओं से वक्त-वक्त पर मार्गदर्शन ले रहे हैं.
आकाश के साथ तैनात रामजी गौतम लगातार रैली और यात्रा भी कर रहे हैं. हाल के दिनों में बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को लेकर भी कई तरह की अटकलें लग रही थी, लेकिन मिश्रा ने 20 अगस्त को एक ट्वीट कर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया.
मिश्रा ने आकाश आनंद के संकल्प यात्रा वाले ट्वीट को रिट्वीट भी किया. इसके बाद मिश्रा लगातार आकाश आनंद के यात्रा और अन्य तस्वीरें शेयर कर रहे हैं.
2017 में पहली बार सुर्खियों में आए थे आकाश
आकाश मायावती के छोटे भाई आनंद के बेटे हैं. आकाश ने लंदन से एमबीए की पढ़ाई की है. पढ़ाई पूरी करने के बाद आकाश ने बिजनेस की दुनिया में कदम रखा, लेकिन 2017 वे राजनीति में आ गए. सहारनपुर की एक रैली में मायावती ने आकाश का परिचय कार्यकर्ताओं से करवाया.
आकाश इसके बाद लगातार चर्चा में बने रहे. 2019 में आकाश को सीधे तौर पर बीएसपी संगठन में जगह मिली, उन्हें रामजी गौतम के साथ नेशनल कॉर्डिनेटर बनाया गया. 2022 के चुनाव में आकाश के कहने पर ही मायावती ने माफियाओं से दूरी बनाने का ऐलान किया. मायावती ने 50 प्रतिशत भागीदारी युवाओं को देने की भी बात कही.
2022 में हारने के बाद मायावती ने नेशनल कॉर्डिनेटर के पद से गौतम की छुट्टी कर दी, लेकिन आकाश से पद नहीं लिया गया.