UP Election Results: यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राजनीतिक दल इस बात की समीक्षा कर रहे हैं कि पश्चिमी यूपी में बहुलता रखने वाले जाट समाज ने किस दल का समर्थन किया है. जिस पश्चिमी यूपी में जाट भाजपा से नाराज बताए जा रहे थे तो ऐसा क्या हुआ कि उसका असर चुनाव में देखने को नहीं मिला. क्या जाटों ने खुलकर राष्ट्रीय लोकदल का साथ दिया है या फिर पिछले कुछ चुनावों की तरह इस बार भी बीजेपी पर ही उन्होंने भरोसा जताया, जिसकी वजह से यहां फिर से भगवा लहराया.
जाटलैंड में लहराया भगवा
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी की 136 सीटों में बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं. इस बार जाटलैंड में सीटें तो कम हुई हैं लेकिन फिर भी बीजेपी अपना बहुत कुछ बचाने में कामयाब रही है. इस चुनाव में बीजेपी ने 93 सीटों पर जीत दर्ज की है जिसमें करीब 50 सीटों पर जाट समाज निर्णायक भूमिका में है. किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी यूपी में जो बीजेपी के खिलाफ माहौल दिख रहा था उसका स्वाभाविक विकल्प समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल बनने का दावा कर रहा था, लेकिन उस हद तक सफलता नहीं मिली जिसकी इन दलों को उम्मीद नजर आ रही थी.
क्या जाटों ने दिया बीजेपी का साथ?
जाटलैंड में किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु बने मुजफ्फरनगर में बीजेपी को तगड़ा नुकसान पहुंचा, जहां 6 में 4 सीटों पर गठबंधन ने बीजेपी को पटखनी दी है. वहीं शामली, रामपुर, बरेली जैसे जिलों में बीजेपी को नुकसान पहुंचा है, लेकिन फिर बीजेपी ने अच्छी खासी सीटें यहां से निकाली हैं जिसमें कई सारे जिले ऐसे हैं जहां बीजेपी ने पश्चिम में क्लीन स्वीप किया है. इनमें मथुरा, आगरा, अलीगढ़, गाजियाबाद जैसे जिले शामिल हैं.
फेल हुई सपा-आरएलडी की रणनीति
साल 1931 में हुई जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 6 मंडलों में जाटों की 99 फीसदी आबादी निवास करती है, जिसकी सीमा सहारनपुर मंडल से शुरू होती है और आगरा मंडल पर खत्म होती है. यूपी की कुल आबादी में जाट 3 फीसदी के करीब हिस्सेदारी रखते हैं तो पश्चिमी यूपी में ये आंकड़ा 17 फीसदी हो जाता है. ऐसे एसपी और आरएलडी ने 17 फीसदी जाट और 27 फीसदी मुस्लिम वोटों के सहारे सत्ता की सीढ़ियों को चढ़ने का ख्वाब देखा था.
जाट बहुल सीटों पर भी बीजेपी की फतह
नतीजों पर गौर किया जाए तो आगरा और अलीगढ़ मंडल के कई सारे विधानसभा सीटों पर जाट अच्छी खासी तादाद में हैं लेकिन बीजेपी ने जाट बाहुल्य इन सभी सीटों पर जीत दर्ज की है. जिसमें आगरा की फतेहपुर सीकरी सीट से लेकर मथुरा की मांट और छाता, अलीगढ़ की खैर और इगलास जैसी सीटों पर कमल खिला है.
कुल मिलाकर फ्री राशन, कानून व्यवस्था, किसान सम्मान निधि और महिलाओं में पहले से ज्यादा सुरक्षा का भाव ऐसे मुद्दे हैं जिसकी वजह से बीजेपी ने एसपी आरएलडी के चक्रव्यूह को पूरी तरह से भेद दिया.