Lok Sabha Elections 2024: बीएसपी (BSP) चीफ मायावती (Mayawati) ने लोकसभा चुनाव और उससे पहले नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2023) में गठबंधन नहीं करने का एलान किया है. इस दौरान कहा जा रहा है कि बीएसपी के फैसलों से अकसर बीजेपी (BSP) को फायदा मिलते रहा है. इसका उदाहरण बीते साल यूपी में हुए लोकसभा चुनाव में दिखाई दिया है. 


दरअसल, मायावती ने कहा, "2023 में कर्नाटक, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के राज्य विधानसभा और अगले वर्ष देश के लोकसभा चुनाव में बसपा किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव नहीं लड़ेगी बल्कि अकेले अपने बलबूते पर यह सभी चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस और कुछ अन्य दल षड्यंत्र के तहत बसपा से गठबंधन की बात जानबूझकर फैलाकर भ्रम पैदा कर रहे हैं."


इसके बाद स्पष्ट हो गया कि आगामी लोकसभा चुनाव तक किसी भी चुनाव में बीएसपी किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. हालांकि बात यहीं खत्म नहीं होती. इसके असर को समझने के लिए हम आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के परिणामों और आंकड़ों पर नजर डालते हैं. तब इस सीट पर बीएसपी ने उम्मीदवार उतारा था और इसका फायदा बीजेपी को मिला. 


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इन चुनावों की आंकड़े बता रहे कहानी
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीएसपी के उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने 2.66 लाख वोट हासिल किए. दूसरी ओर सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव ने 3.04 लाख वोट हासिल किए. जबकि इस उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाले बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल निरहुआ को 3.12 लाख से ज्यादा वोट मिले. 


बीते दिनों खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीएसपी ने उम्मीदवार नहीं उतारा था. इसके अलावा पार्टी ने मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव में कोई प्रत्याशी नहीं उतारा. इस चुनाव में सपा ने जीत दर्ज की. जबकि बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. राजनीति जानकार करते हैं कि इन दोनों ही सीटों पर दलित वोटर्स का एक बड़ा हिस्सा सपा के साथ गया है. इस वजह से कहा जा रहा है कि बीएसपी के फैसले का एक बार फिर बीजेपी को फायदा होगा.