बॉलीवुड (Bollywood) के सबसे पुराने खानदानों में से एक कपूर परिवार (Kapoor Family) के मशहूर एक्टर पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor) तो आपको याद ही होंगे। पृथ्वीराज ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को साल 1931 से लेकर 1960 तक कई बेहतरीन फिल्मों का तोहफा दिया। वहीं उस दौरान मशहूर सिंगर और एक्टर के एल सहगल यानि कुन्दन लाल सहगल (K. L. Saigal) और पृथ्वीराज एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे। आज की इस खास स्टोरी में हम आपको दोनों की दोस्ती से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं।
ये बात उन दिनों की है जब पृथ्वीराज कपूर और के एल सहगल अपने परिवार समेत माटुंगा मुंबई (Mumbai) में एक ही बिल्डिंग में रहा करते थे! ये वो दौर था जब दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी लेकिन किसी बात को लेकर दोनो के बीच अनबन हो गई ! बात बढ़ते-बढ़ते इतनी बढ़ गई कि दोनों की आपस में बोलचाल भी बंद हो गई! अब ऐसे में एक दिन इत्तेफाक से के. एल. सहगल अपने घर से शूटिंग के लिए निकले लेकिन कुछ ही देर बाद सीढ़ियां चढते हुए घर वापस आ गए और अपनी पत्नी आशा सहगत से बोलें मुझे मंदिर में पृथ्वीराज की मां आते हुए मिल गई और मुझसे कहने लगी कि बेटा कुंदन (के एल सहगल) कई दिन हो गए तुमने मुझे कोई भजन नहीं सुनाया ! उन्हें भजन सुनाना है, बस इसीलिए अपना हारमोनियम लेने आया हूं। ये कहकर सहगल ने अपना हारमोनियम उठाया और गले में बांधकर वो सीढ़ियां नीचे उतरने लगे। इतने में वहां पृथ्वीराज की मां भी पहुंच गईं।
फिर के.एल. सहगल वहीं सीढ़ियों पर ही खड़े-खड़े पृथ्वी राज कपूर की मां को भजन सुनाने लगे। वो भजन था "मधुकर श्याम हमारे चोर"! उन्होंने माताजी को भजन सुनाना शुरू ही किया था कि उनकी आवाज सुनकर वहां न सिर्फ पृथ्वीराज कपूर बल्कि सुनने वालों की अच्छी खासी भीड़ सी लग गयी और फिर जब उनका भजन खत्म हुआ तो पृथ्वीराज कपूर ने लपक कर के. एल. सहगल के गले से हारमोनियम उतारा और लिपट गए अपने दोस्त के गले से और सबके सामने रोने लगे! वो कितना इमोशनल सीन रहा होगा इसका अंदाजा हम और आप नहीं लगा सकते हैं। दोनों के गले लगते ही सारे गिले-शिकवे दूर हो गए।
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