देहरादून: आज शाम चार बजे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की शपथ लेने जा रहे तीरथ सिंह रावत का साल 2017 में बीजेपी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट काट दिया था. उस समय वो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और चौबट्टाखाल के विधायक थे. रावत का टिकट काटकर कांग्रेस से आए नेता सतपाल महाराज को दे दिया गया था. उस समय लगा था कि तीरथ सिंह कोई विरोध करेंगे. लेकिन उन्होंने पार्टी के निर्णय को मान लिया.


इसके बाद ही तीरथ सिंह रावत जी को राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया था. टिकट कटने के बाद भी वो लगातार काम करते रहे. इसी बीच 2019 में तीरथ सिंह रावत को पौढ़ी गढ़वाल से लोकसभा चुनाव लड़ाया गया और वो सांसद बन गए.


त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद नए सीएम के लिए जो नाम मीडिया में चल रहे थे, सबके उलट बीजेपी ने सौम्य, सरल और पार्टी की धारा में चलने वाले तीरथ सिंह रावत को नया मुख्यमंत्री बना दिया.


ऐसा रहा है तीरथ सिंह रावत का सियासी सफर


तीरथ सिंह रावत संघ की पृष्ठिभूमि से बीजेपी की राजनीति में आने वाले नेता हैं. छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ाव रहा. संघ से जुड़े दायित्व निभाते हुए वह बीजेपी की मुख्यधारा की राजनीति में आए. 1997 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे. वह राज्य के मंत्री भी रह चुके हैं. साल 2012 में चौबटाखाल विधानसभा सीट से चुनाव जीते. साल 2013 से 31 दिसंबर 2015 तक वह उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके हैं. पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गढ़वाल सीट से उतारा था और उन्होंने 2.85 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी.


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