शशिशेखर त्रिपाठी। आप सभी दीपावली के पावन त्योहार को लेकर कुछ प्लान कर रहे होंगे। हर घर में इसकी तैयारी जोर-शोर से प्रारम्भ हो गई होगी। दिवाली सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ त्योहार है। अमावस्या को भी रोशन करने वाला त्योहार है यानि नकारात्मकता के अंधकार को सकारात्मकता के दीपकों के समूह से प्रकाशित कर दिया जाता है।


दीपावली के त्योहार में सबसे पहले घर के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा यानि मृत वस्तुएं जिनका उपयोग न हो, उनको बाहर किया जाता है। घर को सुसज्जित किया जाता है। सफेदी की जाती है। सभी चीजों की साफ-सफाई होती और अगर सफेदी नहीं भी होती तो ठीक ढंग से सफाई की जाती है।


इसके बाद त्योहार के दिन सभी लोग नए वस्त्र पहनने की परंपरा का पालन करते हैं और यदि दीपावली के दिन सभी लोग नए वस्त्र नहीं पहन पाते हों तो अपनी सामर्थ्य के अनुसार बच्चों को नए कपड़े अवश्य ही पहनने चाहिए। दर्शकों दीपावली पर्व मनाने की पूरी अवधारणा यह है कि नकारात्मक ऊर्जा को बाहर करना है। नई ऊर्जा के साथ नई चीजों के साथ, प्रसन्नता के साथ आगे चलना है। आज हम आपको दीपावली से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताएंगे।


कैसे प्लान करें दिवाली ?
दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन कमला जयंती या लक्ष्मी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है। मत्स्य पुराण के अनुसार लक्ष्मी जी की आरती करने को दीपावली कहते हैं। अमावस्या की रात्रि पूर्ण अंधकारमय होती है। रात्रि में महानिशीथ काल होता है, इसलिए पूर्ण अंधकार के शांत वातावरण में लक्ष्मी की उपासना की जाती है।


धन लाभ के लिए दीपावली का समय परम सिद्धिदायक माना गया है। इस रात्रि में सिद्धि सरलता से मिल जाती है। धन एवं समृद्धि बढ़े, दरिद्रता से मुक्त मिले, व्यापार कारोबार में वृद्धि हो इसके लिए धनतेरस से लेकर कार्तिक शुक्ल की द्वितीया तक दीवाली उत्सव मनाया जाता है। इन पांच दिनों में धनत्रयोदशी में कुबेर और धन्वंतरि जी की उपासना होती है। नरक चतुर्दशी पर वरुण, यम एवं श्री हनुमान जी की उपासना होती है। दीपावली में श्रीगणेश एवं महालक्ष्मी जी का पूजन होता है। दूज में भाई यम और बहन यमुना का महत्व है।