उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. सभी पार्टियां चुनाव को लेकर तैयार हैं. ज्यादात्तर राज्यों में बीजेपी की सरकार है. उत्तराखंड में चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने वोटर्स को लुभाने के लिए कई तरह की घोषणाएं कर रही हैं. हाल ही में आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड को फ्री बिजली देने का वादा किया है वहीं बीजेपी के दिग्गज नेता भी जगह-जगह पर रैलियां कर रहे हैं.
साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने भारी महुमत से चुनाव जीतकर सत्ता में आई थी. उस वक्त बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन पांच साल के कार्यकाल पूरे होने से पहले ही पिछले साल उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. 10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह रावत उतराखंड के नए मुख्यमंत्री बने लेकिन वे केवल तीन महीनों तक इस पद पर बने रहे. इसके बाद 3 जुलाई को पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया.
उत्तराखंड में विधानसभा सीट
उत्तराखंड में विधानसभा की कुल 70 सीटें हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी उसने 70 सीटों में से 57 सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस को केवल 11 सीटों पर ही जीत मिली थी. इसके अलावा दो सीटे अन्य के खाते आई थीं. वहीं बीएसपी खाता भी नहीं खोल पाई थी. इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे हालांकि उन्हें दोनों सीटों से हार मिली थी.
2017 विधानसभा चुनाव में कुल 628 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे वही 74 लाख से ज्यादा वोटर्स थे. इस चुनाव में 68 फीसदी मतदान हुआ था. अगर वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को 46.5 प्रतिशत वोट, कांग्रेस को 33.5 प्रतिशत वोट, बीएसपी का वोट शेयर 7 प्रतिशत और अन्य का वोट शेयर 10 प्रतिशत था.
सबसे कम अंतर से चुनाव जीतने वाले नेता
लोहाघाट से बीजेपी विधायक पूरन सिंह फरत्याल कांग्रेस नेता खुशहाल सिंह से केवल 148 वोटों के अंतर से जीत हासिल किया था. पूरन सिंह को 26, 468 वोट मिले थे वही खुशहाल सिंह को 26320 वोट मिला था.
दूसरे नंबर पर सबसे कम अंतर से जीत हासिल करने वाले कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल हैं. जगदेश्वर विधानसभा सीट से गोविंद सिंह कुंजवाल ने बीजेपी नेता शुभाष पांडे से केवल 399 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
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