UP Chunav 2022: कोरोना काल में देश के सामने बेरोजगारी के ताजा आंकड़ें आ गए हैं. बेरोजगारी के इस ताजा आंकड़ों ने एक बार फिर से विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर महीने में बेरोजगारी दर बढ़कर पिछले 4 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. आंकड़ों के मुताबिक यह बेरोजगार दिसंबर महीने में 7.91 फीसदी की दर्ज की गई है. सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत थी.
सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में शहरों में बेरोजगारी दर 9.30 प्रतिशत थी जबकि नवंबर, 2021 में 8.21 प्रतिशत थी. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.28 प्रतिशत रही जो कि नवंबर महीने में 6.44 फीसदी थी. वहीं बात देश के सबसे बड़े राज्य यूपी की करें तो उत्तर प्रदेश में भी पिछले पांच सालों में बड़ी संख्या में नौकिरयों में कमी आई है.
5 सालों में कम हुई यूपी में नौकरी
यूपी में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. विधानसभा चुनाव के पहले सीएमआईई द्वारा जारी बेरोजगारी के आंकड़े चुनाव में अपना प्रभाव डाल सकते हैं. यूपी में बड़ी संख्या में नौकरियों में गिरावट दर्ज की गई है. सीएमआईई के द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार यूपी में बेराजगारी दर साल 2016 के मुकाबले साल 2021 तक 6 प्रतिशत तक गिर गई है. रिपोर्ट के अनुसार यूपी में सितंबर-दिसंबर 2016 में 38.5 प्रतिशत लोग कार्यरत थे जो सितंबर-दिसंबर 2021 में कम होकर महज 32.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.
वहीं इसे कामकाजी उम्र (15 साल या उससे अधिक) के आबादी के अनुसार समझे तो यूपी में पांच साल पहले 14.95 करोड़ कामकाजी उम्र की आबादी में 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई और यह साल 2021 दिसंबर तक 2.12 करोड़ बढ़कर 17.07 करोड़ पहुंच गई है. वहीं कामकाजी आबादी बढ़ी पर कार्यरत लोगों में 16 लाख की गिरावट आई है. सितंबर-दिसंबर 2016 में यूपी में 149,570 कामकाजी आबादी में 57,589 लोग कार्यरत थे. जो सितंबर-दिसंबर 2021 में 170,730 कामकाजी आबादी में 55,976 पर पहुंच गई है. इससे साफ है कि कार्यरत लोगों की कुल संख्या - दिसंबर 2016 में 38.5 प्रतिशत से गिरकर दिसंबर 2021 में 32.8 प्रतिशत हो गई है. इस गिरावट को समझने का एक और तरीका यह है कि अगर यूपी में दिसंबर 2021 में रोजगार की दर दिसंबर 2016 की तरह ही होती, तो इसके अतिरिक्त 1 करोड़ निवासियों के पास आज नौकरी होती.
विपक्षी पार्टियों को मिला निशाना साधने का मौका
चुनावी मौसम में सामने आए इन आंकड़ों से एक बार फिर से विपक्षी पार्टियों को सरकार पर निशाना साधने का मौका जरूर मिल गया है. वहीं सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े हुए नेता लगातार कोरोना के माहौल में विश्व स्तर पर सामने आई चुनौतियों और समस्याओं का जिक्र कर भारत का वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन की बात कर रहे हैं.
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