पंडित शशिशेखर त्रिपाठी
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कैसे करें हनुमान जी की पूजा


-कलयुग में सबसे अधिक हनुमान जी महाराज की उपासना होती है और उन्हीं के सर्वाधिक मंदिर भी हैं। हनुमान जी महाराज की उपासना करने में कुछ सावधानी रखनी चाहिए। आपको एक बात ध्यान रखनी होगी कि हनुमान जी की उपासना में बहुत टेक्निकल होने की आवश्यकता नहीं है। वह तो  केवल भक्ति भाव के साथ ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार की भक्ति में मिलावट बिल्कुल नहीं पसंद है।


-जिस प्रकार हनुमान जी अपने आराध्य श्री राम जी के प्रति भक्ति भाव रखते हैं, उसी प्रकार हम लोगों को  उनके प्रति भी भक्ति भाव रखने का प्रयास करना चाहिए।


- श्री हनुमान जी दृढ़ संकल्पित एवं भाव प्रधान हैं, इसलिए हम लोगों को हनुमान जी की उपासना करते समय लापरवाही नहीं करनी चाहिए। सभी लोग स्नान करने के पश्चात हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, कुछ लोग स्नान करते करते ही पाठ करना शुरू कर देते हैं। कई बार हनुमान चालीसा का पाठ इतनी तेजी से करते हैं, कि खुद को भी नहीं समझ में आ रहा होता है कि वह बोल क्या रहे हैं।


-उपासना करने में कोई फॉर्मेलिटी करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा तो है नहीं कि आप बुक लेकर पढ़ेंगे। अगर पाठ भक्ति भाव से नहीं होगा तो बिल्कुल वही हालत है कि बिना सिम कार्ड का मोबाइल क्योंकि बिना नेटवर्क प्रभु से कॉल कनेक्ट ही नहीं होगी, इसलिए सभी लोग इस बात का ध्यान रखें कि हनुमान चालीसा जब भी पढ़ें बहुत भक्ति भाव के साथ पढ़ें।


-हनुमान चालीसा का अर्थ यह है कि आप अपने प्रभु को सुना रहे हैं। हम उनकी महिला की गाथा प्रभु को सुना रहे हैं, तो अगर इसे पढ़ते वक्त भाव ही नहीं होगा तो उसका कोई लाभ नहीं है।


-जब भी हनुमान चालीसा का पाठ करें, तो ध्यान रखें कि यदि आपको कुशा का आसन मिल जाए तो उसे अवश्य बिछा लेना चाहिए। उसी पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। कुशा का संबंध केतु महाराज से और केतु महाराज हनुमान जी का अनुसरण करते हैं। यदि कुशा का आसन उपलब्ध न हो तो ऊनी कपड़ा, शॉल एवं कंबल  का आप उपयोग कर सकते हैं।


- हनुमान जी की उपासना में कुछ तप शामिल करना अनिवार्य है। बहुत आरामदायक तरीके से बैठकर उपासना नहीं करनी चाहिए।


-यदि जीवन में कई प्रकार के संकट हैं, आप बहुत परेशान हैं, आपके कोई काम नहीं बन रहे हैं, आपके ऊपर कर्ज बहुत हैं या आप शत्रुओं से परेशान हैं, जीवन में विभिन्न आयामों में संकट ही संकट है, तो हनुमान चालीसा का पाठ खड़े होकर करने से लाभ प्राप्त होता है, लेकिन यह ध्यान रखें कि खड़े होने पर भी आसन करें सीधे भूमि पर नंगे पैर नहीं खड़े होना है।


- यदि हनुमान चालीसा का पाठ बैठकर करते हैं तो रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रखते हुए ही उपासना करनी चाहिए।


-हनुमान जी का जाप करने के लिए तुलसी की माला या रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम रहती है।


- हनुमान जी के मंत्र के अतिरिक्त तुलसी और रुद्राक्ष की माला से राम नाम का भी जाप किया जा सकता है , सीताराम सीताराम का जाप किया जा सकता है।


- हनुमान जी सदैव प्रभु श्री राम का नाम जपते रहते थे और राम नाम की महिमा के लिए ही सदैव तत्पर भी रहते थे, इसलिए हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सर्वोपरि अगर कोई मंत्र जाप है तो वह है। प्रभु श्री राम के नाम का जाप। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई भक्त हनुमान जी का जाप कर रहा हो और दूसरा भक्त श्री राम का जाप कर रहा हो और दोनों को कोई संकट आ जाए तो श्रीराम का नाम जाप करने वाले भक्तों को सर्वप्रथम वे बचाते हैं।


-हनुमान जी श्री राम के नाम के रसिया हैं, इसलिए हनुमान चालीसा का पाठ करिए और उसके पश्चात एक माला श्री राम के नाम का जाप भी करें।


-अगर आप प्रातः काल हनुमान जी की उपासना कर रहे हैं, तो प्रसाद में गुड़ या नारियल का भोग लगाना चाहिए। अगर आप दोपहर में उपासना कर रहे हैं तो फल का भोग लगाना चाहिए।


- जो लोग मंगलवार का व्रत रखना चाहते हैं, उनको शुक्ल पक्ष के मंगलवार से इसका प्रारंभ करना चाहिए।


-शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, तब आप जान लें कि हनुमानजी के अलावा और कोई शनि देव के कोप से नहीं बचा सकता है।


-हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से भी उनकी प्रसन्नता प्राप्त होती है।


-सिंदूर को चमेली के तेल में मिलाकर हनुमान जी को चोला चढ़ाने से वे अति प्रसन्नता होते हैं और हनुमान जी का कोप भी शांत होता है।


-हनुमान मंदिर में लाल रंग का झंडा अर्पित करना चाहिए, इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और यश में वृद्धि करता हैं


-हनुमान जी तुलसी दल से ही तृप्त होते हैं, इसलिए उनके भोग में तुलसी दल अवश्य होनी चाहिए। तुलसी दल को अगर आप प्रसाद के रूप में ग्रहण करें तो इससे आपका स्वास्थ्य उत्तम बना रहेगा यानी हनुमान जी को तुलसी के आप चाहे तो रोज चढ़ाएं और उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करें।


-हनुमान जी को तुलसी दल की माला हर मंगलवार को अगर आप अर्पित करें तो आपकी समृद्धि बनी रहती है।


-हनुमान जी की पूजा में लाल रंग के फूल और घी या तिल के तेल के दीपक को उपयोग में लाना चाहिए। हनुमान जी के समक्ष दीपक लगाने के बाद आरती, हनुमान चालीसा या बजरण बाण का यथासंभव पाठ करना चाहिए।


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