Chief Secretary Sukhbir Singh Sandhu: उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू बिगड़ैल ब्यूरोक्रेसी की नकेल कसने का काम कर रहे हैं. प्रदेश में परंपरा थी कि जब भी एक तबादला सूची जारी होती थी तो एक-दो दिन बाद संशोधित हो जाती थी. छोटा प्रदेश होने का फायदा अफसरों ने खूब उठाया. दर्जनों अफसर अपने राजनीतिक आकाओं की शरण में जाकर तबादला आदेश बदलवाते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है.


दरअसल, मुख्यमंत्री बनते ही पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले सुखबीर सिंह संधू को मुख्य सचिव बनाने का निर्णय लिया. संधू एनएचएआई के चेयरमैन थे और ये प्रधानमंत्री के विश्वसनीय अफसरों में शुमार हैं. उनकी कड़क छवि का असर यहां के सिस्टम पर दिख भी रहा है. विगत चार सितंबर को बड़ी संख्या में आईएएस, आईपीएस, पीसीएस अफसरों के तबादले हुए थे, उनमें से कई प्रभावशाली अधिकारियों ने नए तैनाती स्थल पर ज्वाइन नहीं किया तो मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू ने एक आदेश जारी कर ऐसे सभी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं.


जब शासन को खबर लगी कि पिछली तबादला लिस्ट के हिसाब से अफसर ज्वाइन करने के बजाय जुगाड़ लगा रहे हैं तो मुख्य सचिव की भृकुटियां तन गई. उन्होंने एक आदेश जारी कर कार्मिक एवं सतर्कता विभाग को निर्देश दिए कि ऐसे अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाय. मुख्य सचिव ने आदेश में कहा विगत चार सितम्बर को जो तबादला लिस्ट शासन ने जारी की थी, सुनने में आ रहा है कई अफसरों ने ज्वाइन नहीं किया. ऐसे सभी अफसरों को चिन्हित कर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए. वहीं, जिन अधिकारियों ने अभी तक आदेश का पालन नहीं किया है उनके विरुद्ध अनुशासनहीनता एवं आचरण नियमावली के उल्लंघन करने के लिए तत्काल विभागीय कार्यवाही शुरू की जाए. 


आदेश में स्वास्थ्य विभाग के सचिव को निर्देशित किया है कि जिन अधिकारियों ने ज्वाइन नहीं करने को लेकर मेडिकल ग्राउंड का हवाला दिया है, उनके मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच मेडिकल बोर्ड से कराई जाय और यदि किसी चिकित्सक ने झूठा प्रमाण पत्र जारी किया है तो हेल्थ डिपार्टमेंट उस डॉक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करे.


पहले भी जारी किया था कड़ा फरमान 
बता दें कि लगभग डेढ़ महीने पहले जब एक तबादला लिस्ट आई थी तो तब कुछ अफसरों ने तबादला रुकवाने के लिए, अच्छी पोस्टिंग पाने के लिए राजनीतिक सिफारिशें लगवाई थी. उस समय भी मुख्य सचिव ने फरमान जारी कर अखिल भारतीय सेवाओं (आईएएस, आईपीएस, आईएफएस) को चेताया था कि ऑल इण्डिया सर्विस रूल में प्रावधान है कि यदि कोई अफसर पोस्टिंग पाने के लिए राजनीतिक सिफारिश करवाता है तो यह बिंदु सम्बंधित अफसर की कैरेक्टर रजिक्टर में दर्ज किया जायेगा. पिछले आदेश का इतना असर तो हुआ कि इस बार ज्वाइन नहीं करने के लिए अफसर मेडिकल ग्राउंड पर चले गए, लेकिन इस बार मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच के आदेश जारी कर मुख्य सचिव ने नहले पे दहला मारने का काम किया है.



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