Gonda Yasmeen Story: तीन तलाक पीड़िता 4 बेटियों की मां यास्मीन बेगम ने गोंडा में वो कर दिखाया है जो दूसरों के लिए मिसाल है. यास्मीन ने आर्थिक तंगी की जिंदगी से उबरने के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया और सिलाई शुरू कर अपनी उड़ान को पंख दिए. यास्मीन अब खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ समूह की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं. समूह को प्रशासन ने बेसिक स्कूलों के 3 हजार ड्रेस सिलने का जिम्मा दिया जिससे समूह को 4 लाख रुपये का पेमेंट मिला. महिला शक्ति की मिसाल बनी यास्मीन आज अपने समूह की महिलाओं और उनकी बच्चियों के लिए मसीहा बन गई हैं.


परिवार ने बेसहारा छोड़ दिया
यस्मीन की मानें तो उनके परिवार ने बच्चियों के पैदा होने पर उन्हें बड़ा दंश दिया. भूखों मरने के लिए बेसहारा छोड़ दिया. स्वयं सहायता समूह में काम करने से पहले वो खेतों में मजदूरी कर अपने बच्चों का भरण पोषण करती थी, साथ ही पिता की भी देखभाल करती रही. स्वयं सहायता समूह का निर्माण करने के बाद इनको ड्रेस सिलाई करने का काम मिला. जिसके लिए आर्थिक मदद भी मिली. इस कार्य के लिए यास्मीन यूपी सरकार और जिला प्रशासन के अधिकारियों को धन्यवाद भी देती हैं. सहायता समूह के गठन के बाद से अब वो पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं और बच्चियों की परवरिश सुगमता से कर रही हैं. 


मिसाल बनकर उभरी हैं यास्मीन
यासमीन की शादी 16 साल पहले हुई थी. वो राजी खुशी अपने पति के साथ महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहती थी. लगातार चार बेटियों के पैदा होने से यास्मीन के पति ने उन्हें तलाक दे दिया, जिसका मुकदमा भी चल रहा है. यास्मीन के पति और ससुराल के लोग उन्हें छोड़कर महाराष्ट्र चले गए. 4 बच्चियों को लेकर तलाकशुदा यासमीन गोंडा में ही रहने को मजबूर हो गई. उनके सामने अपने बच्चों को पालने का गंभीर संकट पैदा हो गया. कुछ दिनों तक तो यास्मीन ने खेतों में मजदूरी की. बाद में यास्मीन ने सरकारी मदद से स्वयं सहायता समूह बनाकर गांव की ही 10 महिलाओं को जोड़ा और सिलाई करने लगी. इधर-उधर का काम करके गुजारा चलने लगा. इसी बीच मुख्य विकास अधिकारी के आदेश पर यास्मीन के समूह को बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के ड्रेस सिलने का काम दिया गया. करीब 3 हजार स्कूली ड्रेस सिलकर जब इस समूह ने विभाग को सौंपा तो इस समूह को 4 लाख सिलाई के मिले, जिससे समूह की बांछें खिल गईं. यास्मीन ने बताया कि उसने बैंक से लोन लिया था और सिलाई मशीन खरीदी थी. पेमेंट मिलने के बाद उसने बैंक का लोन चुका दिया है. बाकी जो बचा वो समूह की सदस्य महिलाओं में बराबर-बराबर बांट दिया. महिला सशक्तिकरण के लिए यास्मीन एक मिसाल बनकर उभरी हैं.


किसी तरीके से गुजारा हो रहा है 
यास्मीन के पिता सगीर अहम का कहना है कि बेटी को तीन तलाक देने के बाद छोड़ दिया गया. पति ने आरोप लगया कि वो लगातार बच्चियों को जन्म दे रही थी और लड़के के जन्म ना देने के चलते उसको छोड़ दिया गया है. किसी तरीके से वो अपना पेट पाल रही है. मजदूरी करने के बाद अब उसको स्वयं सहायता समूह में काम मिल गया है. अपने बच्चों के पालन-पोषण करने के साथ-साथ हमारी भी देखभाल करती है, किसी तरह से गुजारा हो रहा है.


सीडीओ ने की सराहना 
सीडीओ ने यास्मीन के समूह की सराहना करते हुए बताया कि तलाक पीड़िता होने के बाद यास्मीन का हमारी एसआरएलएम टीम ने समूह बनवाया और बेसिक स्कूलों के ड्रेस सिलाई का काम दिया जिससे उनको 4 लाख का लाभ मिला. कटरा बाजार ब्लॉक के सर्वांगपुर गांव की हसनी हुसैन नारी कल्याण स्वयं सहायता समूह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है.


अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं यास्मीन 
वहीं, जिले के मुख्य विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने यास्मीन बेगम की तरफ से चलाए जा रहे हसनी हुसैन महिला स्वयं सहायता समूह के बारे में बताया कि सबसे बड़ी बात है कि उनको उनके परिवार ने निकाल दिया. उनकी चार बेटियां हैं और अब वो खुद अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं. ड्रेस सिलाई का काम उनको दिया गया था और अन्य भी काम करने की इच्छुक हैं. हमारा प्रयास है कि उनको और भी काम दिया जाए. ड्रेस सिलाई में उनको अच्छी इनकम भी हुई है, अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर रही हैं. 


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