लखनऊ: 17 मई 2017 को लखनऊ के मीराबाई गेस्ट हाउस की सड़क पर लावारिस हालत में मिले अनुराग तिवारी की मौत को सीबीआई ने अपनी 20 महीने की जांच के बाद हादसा बताया और मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी. लेकिन सुनवाई कर रही सीबीआई विशेष अदालत ने जांच एजेंसी के तमाम दावों को खारिज करते हुए अग्रिम विवेचना के आदेश दिए हैं. सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई करते हुए जज सुब्रत पाठक ने यह आदेश दिया है.
इन बिंदुओं पर लगाई गई थी क्लोजर रिपोर्ट पर आपत्ति
- अनुराग तिवारी का व्हाट्सएप जिस नंबर पर चल रहा था उसको घटना वाले दिन क्यों बदला गया और किसने बदला?
- मीराबाई गेस्ट हाउस के कमरा 19 नंबर को तत्कालीन एलडीए वीसी और मौजूदा समय में डीएम आगरा पीएन सिंह ने बुक कराया था. लखनऊ में पीएन सिंह का आवास होने के बावजूद वह 16-17 मई की रात अनुराग तिवारी के साथ गेस्ट हाउस में क्यों रुके थे अनुराग तिवारी?
- मसूरी एकेडमी से MCTP की ट्रेनिंग कर लौटे अनुराग को कर्नाटक में वापस ज्वाइन करना था. 16 मई को बेंगलुरु का टिकट अचानक क्यों कैंसिल कराया गया और फिर वो टिकट वाया कोलकाता किसने और क्यों बुक हुआ?
सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में क्या कहा?
सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में हादसा मान दलील दी कि अनुराग तिवारी बीते कई दिनों से डायरिया से परेशान थे जिसकी वजह से उन्हें कमजोरी हो गई थी और 17 मई की सुबह इसी कमजोरी के चलते वह सड़क किनारे गिरे और मौत हो गई.
परिवर ने उठाए ये सवाल
परिजनों ने सवाल खड़े किए कि जब अनुराग तिवारी डायरिया से पीड़ित थे तो 1 दिन पहले यानी 16 मई की रात वह डीएसओ चौराहे वाले आर्यन रेस्टोरेंट में डिनर करने कैसे गए थे जिसके बरामद बिल से साफ हो गया था कि अनुराग तिवारी ने मनपसंद भरपेट भोजन किया था.
अनुराग तिवारी के भाई मयंक तिवारी ने लगाए ये आरोप
अनुराग तिवारी के भाई मयंक तिवारी ने हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराई fir में आरोप लगाया कि कर्नाटक के नागवार में फूड कमिश्नर अनुराग तिवारी कर्नाटक के एक बड़े घोटाले का राज फाश करने वाले थे. साथ ही उनपर घोटाले की फाइल पर दस्तखत करने का उनके सीनियर अफसर दबाव बना रहे थे जिसके चलते ही साजीशन हत्या करवा कर हादसे का रूप दिया गया.
सीबीआई ने कहा- अनुराग तिवारी की मौत सजिशन हत्या नहीं एक हादसा है
मामला दूसरे राज्य से जुड़ा था लिहाजा उत्तर प्रदेश सरकार ने परिजनों की मांग पर सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. जून 2017 में सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी. 20 महीने की जांच के बाद सीबीआई ने फरवरी 2019 में 23 पन्ने की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की और माना कि अनुराग तिवारी बेहद ईमानदार अफसर थे. 10 सालों के कैरियर में 7 से 8 बार तबादला किया गया लेकिन उनकी मौत सजिशन हत्या नहीं एक हादसा है.
सीबीआई की विशेष अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पर भाई मयंक तिवारी की तरफ से लगाई गई आपत्ति के बिंदुओं को शामिल करते हुए, जज सुब्रत पाठक ने जांच एजेंसी को अग्रिम विवेचना के आदेश दिए हैं.
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