कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के वरिष्ठ नेता काजी निजामुद्दीन ने पूर्व मंत्री यशपाल आर्य के पार्टी में फिर से शामिल होने और हरक सिंह रावत समेत कुछ अन्य नेताओं की वापसी की संभावना को लेकर चल रही अटकलों के बीच शनिवार को कहा कि अगर कोई अपनी गलती का अहसास करते हुए और कांग्रेस की नीति में विश्वास जताते हुए वापसी करता है तो इसमें क्या गलत है.


उन्होंने एक इंटरव्यू में बातचीत के दौरान यह भी कहा कि ‘अगर सुबह का भूला शाम में घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते.’ निजामुद्दीन ने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब कुछ दिनों पहले ही यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव आर्य कांग्रेस में फिर से शामिल हुए तथा ऐसी अटकलें हैं कि कांग्रेस छोड़ने वाले कुछ अन्य नेता भी आने वाले दिनों में पार्टी में वापसी कर सकते हैं. उत्तराखंड सरकार के मंत्री हरक सिंह रावत ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से कथित तौर पर माफी मांगी, जिसके बाद इन अटकलों को और बल मिला है.


निजामुद्दीन ने कही ये बड़ी बात 


कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव (संगठन) और हरिद्वार जिले की मंगलौर विधानसभा सीट से विधायक निजामुद्दीन ने कहा, ‘‘सुबह का भूला अगर शाम को घर लौटे तो उसे भूला नहीं कहते. अगर कोई पार्टी की नीति में विश्वास करते हुए और अपनी गलती का अहसास करते हुए आए तो क्या गलत है?’’ हरक सिंह रावत से जुड़े सवाल पर उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैं किसी व्यक्ति के बारे में कोई बात नहीं करूंगा. अगर कोई अपनी गलती को मानता है और पार्टी नेतृत्व उसे वापस लेने का निर्णय करता है उसमें कुछ गलत नहीं लगता.’’


कई कांग्रेस नेताओं ने की थी बगावत 


उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत समेत कई कांग्रेस नेताओं ने बगावत कर दी थी जिससे तत्कालीन हरीश रावत सरकार संकट में आ गई थी. फिर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. उत्तराखंड में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे पर निजामुद्दीन ने कहा, ‘‘क्षेत्रीय पार्टियों के मुखिया ही मुख्यमंत्री बनने की सोचते हैं. अगर इनको छोड़ दें तो फिर कौन सी राष्ट्रीय पार्टी चेहरा घोषित करती है? पहले बीजेपी यहां अपना मुख्यमंत्री का चेहरा बताए क्योंकि यह अटकलें हैं कि चुनाव से पहले पुष्कर सिंह धामी को भी बदला जा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय दलों की एक परिपाटी है. वे अपने एजेंडे और घोषणापत्र पर चुनाव लड़ते हैं. चुनाव के बाद विधायक अपने केंद्रीय नेतृत्व के साथ मुख्यमंत्री के बारे में निर्णय लेते हैं.’’


निजामुद्दीन ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर साधा निशाना


यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव जीतने की स्थिति में भी यही होगा तो उन्होंने कहा, ‘‘बिल्कुल.’’ निजामुद्दीन ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में बेरोजगारी, पलायन, किसानों की समस्याएं, महिला सुरक्षा और उद्योग धंधों का बंद होना सबसे मुद्दे हैं क्योंकि इस सरकार ने इनकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया. उन्होंने दावा किया, ‘‘कांग्रेस की सरकार में उत्तराखंड विकास का पर्यायवाची माना जाता था, लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण उद्योग बंद हो रहे हैं. जब हरीश रावत जी की सरकार गई थी तो उत्तराखंड में देश में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय थी. अब यह प्रदेश का बेरोजगारी दर देश में सबसे आगे है.’’


विधानसभा की लोक लेखा समिति के प्रमुख ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘पहले के मुख्यमंत्री (त्रिवेंद्र सिंह रावत) के समय सरकार की ओर से वित्तीय कुप्रबंधन देखने को मिला था. उन्होंने कोरोना की पहली लहर के दौरान भी कुप्रबंधन किया. दूसरे मुख्यमंत्री (तीरथ सिंह रावत) के समय दूसरी लहर में भारी कुप्रबंधन हुआ जिससे सैकड़ों लोगों की मौतें हुईं. मौजूदा मुख्यमंत्री (धामी) के समय राज्य के हालात बद से बदतर हो चुके हैं.’’


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