Kanpur IIT Research On Heart Attack: इन दिनों हार्ट अटैक की घटनाएं बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं. आजकल नाचते-गाते, बैठे-बैठे ही हार्ट अटैक हो रहा है और चंद सैकेंड में मौत हो जाती है. जिसने लोगों को गंभीर चिंता में डाल दिया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर दिल अचानक इस तरह से धोखा क्यों दे रहा है. इस रहस्य से अब कानपुर आईआईटी पर्दा उठाएगी. इसके लिए गंगवाल स्कूल ऑफ़ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी में शोध किया जाएगा. शोध के लिए आईआईटी ने दुनिया भर के शोधार्थियों से आवेदन मांगे है. उनके आवेदनों पर विचार कर शोध को शुरू किया जाएगा.  


पिछले काफी समय से नाचते-गाते, घूमते-फिरते, जिस तरह से सभी उम्र के लोगों में हार्ट अटैक और चंद सेकेंड में मौत के कई वीडियोज सामने आए हैं. आम लोगों के साथ कई सेलिब्रिटी भी ऐसी घटनाओं का शिकार बन चुके हैं. ऐसे में सभी के मन में कौतूहल है कि ऐसा क्यों हो रहा है. अब इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए आईआईटी कानपुर ने शोध शुरू करने का बीड़ा उठाया है. आईआईटी कानपुर हार्ट अटैक के कारणों की खोज करेगा. शोध के लिए आईआईटी ने दुनिया भर के शोधार्थियों से 22 जून तक आवेदन मांगे है.


आईआईटी कानपुर के अलावा नारायणा हेल्थ एसजीपीजीआई सहित कई अन्य मेडिकल संस्थान भी इस रिसर्च में सहयोग करेंगे. इससे पहले संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम कृत्रिम हृदय पर भी काम कर रही है. जल्द ही इसका एनिमल ट्रायल शुरू किया जाएगा और इसके सफल होने पर 2025-26 में इसका इस्तेमाल शुरू हो जाएगा. संस्थान में हार्ट अटैक के कारण के अलावा, हार्ट अटैक आने से पहले कुछ संकेत मिल सके इसके लिए सिस्टम तैयार किया जाएंगे. एमआरआई, ईसीजी के डेटा के आधार पर कार्डियो इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी सिम्युलेटर विकसित किया जाएगा, जो अटैक आने से पहले ही कुछ संकेत दे देगा.  


इसकी मदद से रूटीन चेकअप के लिए आने वाले रोगियों की इस मशीन से सटीक जानकारी मिल सकेगी. दरअसल लोगों में हार्टअटैक आना आम बात है, लेकिन जिस तरह से बीते एक-दो सालों में हर आयु वर्ग के लोगों में हार्ट अटैक की घटनाएं बढ़ी हैं उसके बाद आईआईटी की ये रिसर्च काफी अहम होने जा रही है. कुछ महीनों पहले कानपुर में क्रिकेट के मैदान में रन लेने के लिए दौड़ते हुए युवक को हार्टअटैक आया और उसकी मौत हो गई. नांदेड़ में अपने रिश्तेदार की शादी में युवक डांस करते हुए अचानक मौत हो गई थी. इन सभी उदाहरणों के बाद आईआईटी कानपुर की यह रिसर्च मील का पत्थर साबित हो सकती है. 


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