Atiq Ahmad news: मजहब के नाम पर वोट मांगने वाला अतीक अहमद वक्फ, इमामबाड़े और कब्रिस्तान की कई संपत्तियों पर अवैध कब्जा किया था. अतीक का रसूख इतना ऊंचा था की सत्ता के संरक्षण में प्रशासन से अवैध काम को भी फर्जी तरीके से वैध करा लेता था . ABP के पास तीन वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर वहां करोड़ों का घपला कराए जाने के Exclusive डाक्यूमेंट्स मौजूद हैं.


अतीक ने सबसे बड़ी लूट प्रयागराज शहर के बहादुरगंज इलाके में स्थित 200 साल पुराने इमामबाड़ा गुलाम हैदर में की थी. ये जमीन वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. ये इमामबाड़ा यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की निगरानी में चलता था. साल 2015 में अतीक अहमद जब समाजवादी पार्टी का नेता था और सूबे में अखिलेश की सरकार थी तब अतीक ने अपने रसूख से अपने बेहद करीबी वकार रिजवी को यहां का मुतवल्ली(वक्फ के प्रबंधक) नियुक्त करा दिया था.


शॉपिंग कांप्लेक्स की भीड़ से होकर गुजरना पड़ता था
मुतवल्ली वकार रिजवी ने कुछ दिनों बाद ही इमामबाड़े की बिल्डिंग को यह कह कर गिरवाना शुरू कर दिया कि इमारत जर्जर है और उसकी जगह नई बिल्डिंग बनाई जाएगी.बिल्डिंग गिरने के बाद वहां इमामबाड़े के बजाय 4 मंजिला शॉपिंग कांप्लेक्स बना जिसमें कुल 64 दुकानें बनाई गईं थी और इमामबाड़े को पहली मंजिल में सबसे पीछे एक छोटी सी जगह में सीमित कर दिया गया. वकार रिजवी ने शॉपिंग कांप्लेक्स बनाने का ठेका अतीक अहमद के बेहद करीबी राजीव जैन को दिया था. राजीव जैन प्रयागराज के बड़े बिल्डरों में से एक हैं. राजीव जैन का कारोबार वर्धमान बिल्डर्स के नाम से चलता है. इमामबाड़े में जियारत के लिए जाने वालों को शॉपिंग कांप्लेक्स की भीड़ से होकर गुजरना पड़ता था.


एक दुकान आवंटित करने की प्रक्रिया में लगभग 15 से 20 लाख रुपये लगते थे, हालांकि दावा यह भी किया जाता है कि एक दुकान के आवंटन के बदले 60 से 70 लाख रुपये वसूले गए थे. इस तरह अतीक एंड कंपनी ने यहां तकरीबन 35 से 40 करोड़ रुपये की कमाई की थी.


आवाज़ उठाने वाले पर फर्जी मुकदमा


प्रयागराज के सोशल एक्टिविस्ट और शिया स्कॉलर शौकत भारती ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो उनके खिलाफ न सिर्फ फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया गया बल्कि जानलेवा हमला भी कराया गया. शौकत भारती ने इसके बावजूद भी अपनी लड़ाई जारी रखी. इस मामले में शौकत भारती ने सीधे तौर पर जमीन माफिया के शामिल होने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट तक शिकायत की थी. 


लेकिन यूपी में योगी की सरकार बनने के बाद ही इस मामले में जांच शुरू हो पाई थी. वकार रिजवी की नियुक्ति करने वाले शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन वसीम रिजवी समेत कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया.


इस कॉम्प्लेक्स बीच योगी सरकार ने इमामबाड़े की जमीन पर अवैध तरीके से शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाए जाने के मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए साल 2020 में बुलडोजरों के जरिए बने चार मंजिला शॉपिंग कांप्लेक्स को जमींदोज कर दिया.


दूसरी वक्फ प्रॉपर्टी शहर के चकिया इलाके की है, इस वक्फ प्रॉपर्टी को छोटी कर्बला भी कहा जाता है. यह कब्रिस्तान है और यहां मोहर्रम के पर्व पर ताजिया दफन किए जाते हैं, अतीक अहमद ने अपने कुछ करीबियों से कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा करवाया था. छोटी कर्बला की जमीन पर ईंट-बालू और गिट्टियों की दुकान खोल दी गई थी. कई लोगों को यहां की जमीन पर काबिज करा दिया गया था. काबिज होने वालों में अतीक अहमद के कुछ करीबी रिश्तेदार भी हैं.


नगर निगम ने लिखित तौर पर मांगी माफी


अतीक ने यहां अपने रसूख का इस्तेमाल कर वक्फ की प्रॉपर्टी लोगों के नाम चढ़वा दी थी. जबकि ऐसा करना कानूनन अवैध था. इस मामले में जांच के बाद हड़कंप मच गया था और नगर निगम ने लिखित तौर पर अपनी गलती भी मानी थी. साल भर से ज्यादा का वक्त बीतने के बावजूद इस मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है. छोटी कर्बला की यह वक्फ संपत्ति अतीक अहमद के चकिया इलाके के दफ्तर के ठीक नजदीक है.


इसके अलावा एक और वक्फ संपत्ति में भी अतीक अहमद के करीबी लोगों का दखल था. चौक इलाके में शहर कोतवाली से महज 10 कदम की दूरी पर सुंदरिया बेगम के इमामबाड़े को कुछ लोगों ने बहुत पहले कब्जा कर लिया था. ऐसा कब्जा की यहां इमामबाड़े का अस्तित्व भी नहीं बचा और उसकी जगह दुकानें बना दी गई. मामला सुर्खियों में आया तो कब्जा करने वाले लोग अतीक अहमद और उसके करीबियों की शरण में आ गए और उन्होंने वहां से संरक्षण हासिल किया.


आवाज उठाने वाला असुरक्षित?


अतीक और उसके साथियों द्वारा वक्फ संपत्तियों की लूट के मामले में सोशल एक्टिविस्ट शौकत भारती द्वारा आवाज उठाए जाने पर उन्हें पुलिस की सुरक्षा मुहैया कराई गई थी, लेकिन यह सुरक्षा महज कागजों पर ही ज्यादा है. क्योंकि पुलिस अफसरों ने शौकत भारती को यह हिदायत दी है कि उन्हें जब घर से बाहर निकलना होगा तो वह पुलिस थाने को सूचना देंगे और तब उनके पास गनर भेजा जाएगा. जो की व्यवहारिक तौर पर कहीं से सुरक्षित नहीं दिख रहा है.


शौकत भारती अपने ऊपर हुए हमले के बाद इतने डरे हुए हैं कि वह तमाम जगहों पर शिकायत करने के बावजूद अभी भी खुलकर अतीक अहमद का नाम लेने में हिचकते हैं. हालांकि उनका साफ तौर पर कहना है कि वक्फ संपत्तियों को बचाने की लड़ाई में वह पहले की तरह लड़ते रहेंगे. वक्फ संपत्तियों पर अपने लोगों से कब्जा करा कर वहां करोड़ों की वसूली किए जाने के मामले में सरकारी अमला भी अतीक अहमद से मिला रहता था या फिर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाता था.


ऐसे में सवाल यह है कि अतीक अशरफ की हत्या के बाद क्या सरकारी अमला कुंभकर्णी नींद से जागेगा और तेजी से कार्रवाई होगी? क्या अतीक अहमद की मौत के बाद संपत्तियों को कब्जा करने का राज बाहर आ सकेगा?


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