एबीपी गंगा, कानपुर। कभी उत्तर प्रदेश के मैनचेस्टर के नाम से जाने जाने वाले कानपुर शहर से उधोग धंधे तो दिन ब दिन ख़त्म होते जा रहे हैं लेकिन जरायम की दुनिया से जुड़े कारोबारों ने कानपुर में अपने पांव पसार लिए हैं। इनमें इन दिनों सबसे ज्यादा फल-फूल रहा है स्मैक का धंधा। जो शहर की तंग गलियों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की सरपरस्ती में फल-फूल रहा है। स्मैक ने न जाने कितने हंसते खेलते परिवारों की कहानियां बदरंग कर दी हैं। तो कभी ये नशा खूनी रंजिश का कारण भी है।


स्मैक की तस्करी करने वाले सफ़ेद धुएं का कारोबार कर करोडों के मालिक बन चुके हैं जबकि इस नशे के लती अपना सबकुछ गंवाकर मौत के मुहाने पर हैं। इस काले कारोबार में पुरुषों, महिलाओं के साथ-साथ अब बच्चों को भी उतार दिया गया है। मासूम बच्चे अपना बचपन स्मैक की पुडियों को बेचने में लगा चुके हैं। यह धंधा पूरे जिले में कहीं चोरी छिपे तो कहीं वर्दी की सरपरस्ती में जोरो पर है। वहीं, इस धंधे को रोकने और लगाम कसने वाले जिम्मेदार आंखों पर काली पट्टी बांधे बैठे हैं।

कुछ समय पहले तक तो कर्नलगंज के गम्मू खां का अहाता स्मैक बिक्री का सुरक्षित स्थान था लेकिन साल 2010 में हुए गैंगवार के बाद यहां की मंडी ठंडी पड़ गई। अब इसके पास ही स्थित तकिया पार्क और इमाम चौक की गलियों में खुलेआम स्मैक बिक्री शुरू हो गई है। इसके साथ ही बेकनगंज का तिरपाल वाला मैदान, नई सड़क की रिजवी रोड, हरबंश मोहाल का दानाखोरी, रावतपुर गांव, रेलबाजार, संकेतनगर कंजड़नपुरवा, फजलगंज, दर्शनपुरवा, जुगैया, नौबस्ता, उस्मानपुर की गलियों में स्मैक की पुड़िया खुलेआम बिकती है। यहां रोज आने वाले ग्राहकों को कोड वर्ड बताने पर ही मौत का सामान दिया जाता है।


हालांकि पुलिस बीच-बीच में सख्ती दिखाती है और धंधा करने वालों को जेल भेजने का काम कर अपनी पीठ थपथपाती है। लेकिन अब इस धंधे को करने वालों ने नई तरकीब निकाली है। इस कारोबार में लिप्त पुरुष माफियाओं पर पुलिस की नकेल कसने के बाद अब महिलायें और बच्चे इस धंधे को चला रहे हैं ताकि भीड़भाड़ वाले इलाकों में धंधा करने में कोई इन पर शक न करे। इस धंधे में महिलायें और बच्चे बिक्री के साथ-साथ इनफॉर्मर का भी काम कर रहे हैं।


ग्राहक के हिसाब से है रेट
मौत की पुड़िया का रेट भी ग्राहक की स्थिति को देखकर तय किया जाता है। स्मैक बेचने वाले रिक्शे वालों से लेकर कार से आने वालों तक से मौत की पुड़िया का मनचाहा रेट वसूल करते हैं। निचले तबके के लोगों को जहां एक पुड़िया 35 से 50 रुपये में मिल जाती है। वहीं, ऊंचे तबके के लोगों से इस धंधे में जुड़े लोग दोगुना या तीनगुना तक रकम वसूल की जाती है।


पुलिस ने माना बढ़ रहा नशे का कारोबार
हालांकि पुलिस भी मानती है कि यह गोरखधंधा फलफूल रहा है। हालांकि, कार्रवाई के नाम पर पुलिस ज्यादा कुछ करती नजर नहीं आती। फिलहाल, इस मामले में आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल का कहना है कि इसको लेकर अभियान चलाया जाएगा और लोगो को जागरूक भी करने का भी काम किया जाएगा।