नई दिल्ली, पं.शशिशेखर त्रिपाठी। सोमवार यानी 14 अक्टूबर से कार्तिक मास की शुरुआत हो रही है। कार्तिक मास भगवान विष्णु जी का माह होता है। कार्तिक मास से जुड़ी कई सारी जानकारी आपको बता रहे हैं पंडित शशिशेखर त्रिपाठी। ब्रह्माजी ने नारद से कहा कि मासों में कार्तिक और देवताओं में विष्णु श्रेष्ठ हैं।


कार्तिक मास का महत्व:


चातुर्मास्य (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक की अवधि, देवोत्थान एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इस दौरान श्री रामायण श्री विष्णु सहस्त्रनाम और श्रीभगवत गीता का पाठ करने का महत्व कई गुना अधिक  बढ़ जाता है।


कार्तिक मास में मनाए जाने वाले व्रत-त्योहारः 


करवा चौथ, अहोई अष्टमी, व्रतरंभा एकादशी, गोवत्स द्वादशी, नरक चतुर्दशी तथा रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया -दूज, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, तुलसी विवाह, भिस्मा पंचक, बैकुंठ चतुर्दशी, कार्तिक पूर्णिमा, गुरु नानक जयंती।


तुलसी का महत्व:


जो मनुष्य कार्तिक मास में तुलसी दल चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करता है। वह एक-एक दल पर तुला दान करने का फल पाता है।


विष्णु की आराधना और विष्णु सहस्त्रनाम प्रभावशाली:


जो लोग बड़े संकट में फंसे हैं, वह चाहें लोन से संबंधित हो या फिर रोग से। गजेंद्र मोक्ष का नित्य पाठ करने  से सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं। भक्ति भाव से इसका यदि पाठ किया जाए तो नारायण स्वयं रक्षा करने आते हैं।



कब-कौन सा व्रत होता है?




  • कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है।

  • कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है। बच्चों की उन्नती के लिए माता इस व्रत को करती हैं।

  • कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की रम्भा एकादशी को उपवास रखकर भगवान श्री कृष्ण की सम्पूर्ण वस्तुओं से पूजन, नवैद्य, आरती कर प्रसाद वितरित करके ब्राह्मण को भोजन कराएं तथा दक्षिणा दें।

  • कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की द्वादशी गोवत्स (गाय- बछड़ा) के रूप में मनाई जाती है। इस दिन गाय-बछड़े की पूजा की जाती है।

  • कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी, धन त्रयोदशी के रूप में मनायी जाती है। इस दिन धन्वंतरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर आए थे, इसलिए धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहते है।

  • कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी एवं छोटी दीपावली के रूप में मनायी जाती है। शाम को दीप दान करते हैं।

  • कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है, इसे रोशनी का पर्व भी कहा जाता है। कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचन्द्रजी चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर, रावण को मारकर, अयोध्या लौटे थे। अयोध्या वासियों ने श्री रामचन्द्र जी के लौटने की खुशी में दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था।

  • कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है। यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई है। गाय, बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर पूजन किया जाता है। गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है, तथा प्रदक्षिणा की जाती है। गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, रोली, चावल मौली, फूलमाला आदि से पूजन कर, दीपक जलाकर, परिक्रमा की जाती है।

  • कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की द्वितीया (भाई दूज) इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती है।

  • कार्तिक मास की शुक्ल षष्ठी को छठ पूजा मनाई  जाती है। इस दिन सूर्य की उपासना होती है। यह व्रत बड़े नियम, संयम तथा निष्ठापूर्वक किया जाता है। षष्ठी को निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है, तथा षष्ठी को अस्त होते हुए सूर्य को विधिपूर्वक पूजा करके अर्घ्य देते हैं।

  • कार्तिक शुक्ल अष्टमी गोपाष्टमी के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए वन भेजा गया था।  इस दिन गाय की उपासना करनी चाहिए।

  • कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को आवंला नवमी कहते हैं। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है। प्रातः काल आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है। आंवला स्वास्थ्य वर्धक होता है और यह मौसम उसके लिए सर्वोत्तम होता है।

  • कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी को भगवान विष्णु चातुर्मास के शयनोपरान्त जागते हैं। विष्णु जी के शयन काल के चार मासों- आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद व अश्विन में विवाह आदि मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। कार्तिक मास में जो मनुष्य तुलसी-शालिग्राम का विवाह करते हैं, उनके पिछले जन्मों के सब पाप नष्ट हो जाते हैं।

  • कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली है, इस दिन देवता लोग स्वर्ग में दीपावली मनाते हैं। इस दिन गंगास्नान, दीप दान आदि का विशेष महत्व है।


क्या दान करें




  • गाय का दान करना चाहिए

  • पेड़-पौधे लगाने चाहिए

  • कार्तिक में केला और आंवले के फल का दान करना श्रेयस्कर है

  • तुलसी दान करनी चाहिए


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