नई दिल्ली, एबीपी गंगा। निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी एक बार फिर टल गई है। अब दोषियों को कल सुबह फांसी की सजा नहीं होगी। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी है। दरअसल, चारों आरोपियों में से एक पवन की दया याचिका राष्ट्रपति के सामने लंबित है। इस वजह से पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। बतादें पहले के आदेश के मुताबिक चारों दोषियों को कल सुबह 6 बजे फांसी होनी थी।


इससे पहले सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषी अक्षय और पवन की डेथ वारंट पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। वहीं दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि चारों को एक साथ फांसी नहीं दे सकते, इस पर विचार करें। इससे पहले निर्भया के गुनहगार पवन की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। पवन ने मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदलने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई पांच जजों की बेंच ने की है। विनय, मुकेश, अक्षय के कानूनी विकल्प पहले ही खत्म हो चुके हैं।


कोर्ट 14 दिन का समय देती है या नहीं


पटियाला हाउस कोर्ट ने ये जानते हुए कि पवन की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है फिर भी फांसी पर रोक से इनकार किया है। ऐसे में अब यह पूरी तरह से अदालत के फैसले पर निर्भर करेगा कि वो पवन को दया याचिका ठुकराए जाने के बाद जो 14 दिन का समय देगी या नहीं।


दूसरी तरफ एक अन्य दोषी अक्षय सिंह ने शनिवार को राष्ट्रपति के समक्ष फिर दया याचिका दायर की। निचली अदालत ने 17 फरवरी को चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर तीन मार्च, सुबह 6 बजे फांसी की तारीख तय की थी।


दरअसल, चारों दोषियों में से दो अक्षय सिंह और पवन कुमार गुप्ता ने पटियाला हाउस कोर्ट में डेथ वारंट पर रोक के लिए याचिका दायर की है। इस याचिका को लेकर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने पिछले सुनवाई में तिहाड़ जेल प्रशासन से 2 मार्च तक जवाब मांगा था। गौरतलब है कि निर्भया केस के दोषी कानूनी मदद के नाम पर फांसी टलवाने के लिये तिकड़म लगा रहे हैं। कानूनी विकल्प के मौजूद रहते कल होने वाली फांसी एक बार फिर टल सकती है।


"मेरी बच्ची की गलती क्या था''


दोषियों के कानूनी दांवपेंच में उलझाने की कोशिशों पर निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि मैं सात साल तीन महीने से संघर्ष कर रही हूं। वो कहते हैं हमें माफ कर दो। कोई कहता है कि मेरे पति, बच्चे की क्या गलती है। मैं कहती हूं कि मेरी बच्ची की क्या गलती थी?