अयोध्या: अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य पूरी तरह 15 फरवरी से शुरू होगा. क्योंकि तब तक मंदिर की नींव की डिजाइन ट्रस्ट और निर्माण एजेंसियों को मिल जाएगी. वहीं, जिस मंदिर के मॉडल पर निर्माण होना है उस तरह के निर्माण पर लगभग 300 से 400 करोड़ रुपए लगेंगे. लेकिन मंदिर के परकोटे के बाहर राम जन्मभूमि परिसर में कुल निर्माण को जोड़ा जाए तो यह रकम 1100 सौ करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी. यह आकलन हमारा नहीं है, यह आकलन है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी जी का, जिन्होंने पहली बार राम मंदिर और उसके परकोटे के बाहर निर्माण में आने वाली लागत का खुलासा किया है.
फिलिंग मैटेरियल पर रिसर्च
अयोध्या में राम जन्मभूमि निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में चली दो दिन की मंथन बैठक में एक तो यह तय हुआ कि राम मंदिर की नींव का निर्माण इंजीनियरिंग फिलिंग पद्धति से किया जाएगा. इसके लिए बुनियााद नहीं बल्कि कितनी भूमि में मंदिर निर्माण होना है, उस पूरी भूमि को 12 मीटर तक खोदा जाएगा. उसके बाद उसमें फिलिंग के लिए कौन से मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाएगा, यह रिसर्च रिपोर्ट आने के बाद उस खोदे गए गड्ढे में जमीन की सतह से ऊपर तक फीलिंग की जाएगी, इस पद्धति को ही इंजीनियरिंग फिलिंग कहते हैं.
नींव पर शुरू हुआ काम
निर्माण समिति अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने इसी के बारे में निर्माण एजेंसी के विशेषज्ञों से विचार विमर्श किया. निर्माण एजेंसियों के बीच समन्वय बनाने को लेकर दिशा निर्देश दिए. अब तक हुए कार्य को देखा. मंदिर की नींव खोदने को लेकर विश्वकर्मा जी की पूजा के बाद सांकेतिक शुरुआत की. मंदिर निर्माण की स्टेप दर स्टेप की टाइमलाइन को लेकर चर्चा की. मंदिर निर्माण की जरूरतों को लेकर जानकारी ली लेकिन मीडिया से इस बारे में कोई बात नहीं की.
1100 करोड़ का खर्च
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी ने पहली बार इस बात को सामने रखा कि, मंदिर निर्माण का पूरी तरह कार्य 15 फरवरी से शुरू होगा क्योंकि तब तक फिलिंग मैटेरियल को लेकर भी रिपोर्ट आ जाएगी. वहीं, उन्होंने यह भी पहली बार बताया कि राम मंदिर के निर्माण पर लगभग 300 से 400 करोड़ रुपए लगेंगे लेकिन मंदिर के परकोटे के बाहर राम जन्मभूमि परिसर में कुल निर्माण को जोड़ा जाए तो यह रकम 1100 सौ करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी.
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