प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसानों से जुड़े हुए एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि सिंचाई के लिए किसानों को उनकी ज़रुरत के हिसाब से बिजली न मुहैया कराना संविधान का उल्लंघन हैं. कोर्ट ने अपने आदेश से किसानों को बड़ी राहत दी है और कहा है कि बिजली न मिलने से अगर किसानों की खेती प्रभावित होती है तो यह संविधान में अपनी पसंद के व्यवसाय करने के अधिकार का उल्लंघन है.


अदालत ने अपने फैसले में यूपी की बिजली कंपनियों को किसानों को सिंचाई के लिए बिना किसी रुकावट के उन्हें उनकी ज़रुरत के हिसाब से बिजली मुहैया कराने का आदेश दिया है. अदालत ने इसके साथ ही सूबे के सभी जिलाधिकारियों को अपने यहां के ट्यूबवेलों की मरम्मत कराने व देखरेख करने के भी निर्देश दिए हैं.


सिंचाई के लिए विद्युत आपूर्ति निर्बाध रूप से चालू रखी जाय- कोर्ट


यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की डिवीजन बेंच ने बांदा जिले के किसान नाथू प्रसाद कुशवाहा व चौदह अन्य की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याची का कहना था कि ट्यूबवेल का कनेक्शन अक्सर कटा रहता है. ट्यूबवेल की मरम्मत भी नही की जाती. मरम्मत के लिए कोई एजेन्सी ही नही है, जिसके कारण खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है और फसलों को भारी नुकसान हो रहा है.


इस पर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी तो बताया गया कि विद्युत कनेक्शन जोड़ दिया गया है. इस पर याची ने कहा कि अक्सर कनेक्शन कट जाता है और मरम्मत नहीं की जाती. इस पर कोर्ट ने प्रदेश की सभी विद्युत वितरण कंपनियों और सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किये हैं और कहा है कि सिंचाई के लिए विद्युत आपूर्ति निर्बाध रूप से चालू रखी जाय.


यह भी पढ़ें-


अजान पर आपत्ति के बाद योगी के मंत्री बोले- मुस्लिम महिलाओं को बुर्के से दिलाई जाएगी मुक्ति


कांग्रेस महासचिव और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत हुए कोरोना पॉजिटिव