अपने परिवार को पालने के लिए अरुणा ईरानी ने 9 साल में शुरु किया बॉलीवुड में काम करना, हाथ पकड़ने में शरमाते थे अमिताभ बच्चन
बॉलीवुड में ऐसे काफी कम अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने हर किरदार में अपने आप को साबित किया है। कुछ अभिनेत्रियां जहां सिर्फ हीरोइन बनकर रह गईं तो कुछ को दर्शकों ने सिर्फ मां और दादी के किरदारों में ही पसंद किया।
Bollywood एक्ट्रेस अरुणा ईरानी उन अभिनेत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने मां और बहन के किरदार से लेकर माशूका और वैंप तक के किरदार में जान डाली। आपको बता दें, अरुणा ने दिलीप कुमार के साथ 1961 में फिल्म 'गंगा जमना' से बतौर बाल कलाकार अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी, उस वक्त वो सिर्फ 9 साल की थी।
एक इंटरव्यू के दौरान अरुणा ने कहा था, 'दादा कोंडके के साथ मराठी फिल्म की और फिर मेरे पास आई राज कपूर की 'बॉबी'। मुझे डर लगा कि मुझे वैंप बनना पड़ रहा है, लेकिन मैंने फिल्म की और उसके बाद भगवान की कृपा रही।' इसके साथ ही वैंप के किरदार निभाने पर अरुणा ने कहा था,' 'वैंप इत्तेफाक से बनी, ख़्वाब तो हमारे ऊंचे थे, लेकिन हमारा परिवार गरीब था और परिवार को मुझे पालना था।
आगे कहती हैं अरुणा, 'मेरा सबसे यादगार रोल मुझे 1992 की माधुरी की फिल्म 'बेटा' का लगता है जिसमें मैंने एक ऐसी औरत का किरदार निभाया जो पूरी तरह नेगेटिव थी। उसके लिए मुझे अवॉर्ड भी मिला था। इसके साथ ही 2012 में फिल्मफेयर ने उन्हें लाइफ टाइम एचीवमेंट अवॉर्ड दिया था।
अरुणा से जुड़ा एक किस्सा साझा करते हुए हास्य कलाकार बीरबल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, 'अमिताभ बच्चन शुरुआती दिनों में जब संघर्ष कर रहे थे तो महमूद ने ही उन्हें लंबे समय तक अपने घर पर आसरा दिया था। इतना ही नहीं उन्हें फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' में लीड हीरो के तौर पर काम दिया। वहीं शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन हीरोइन अरुणा ईरानी का हाथ पकड़ने में बहुत शरमाते थे।'
साल 2000 में अरुणा ने धारावाहिक 'जमाना बदल गया' से छोटे पर्दे पर एक्टिंग की शुरुआत की थी। इसके बाद 'कहानी घर घर की' (2006-2007), 'झांसी की रानी' (2009-2011), 'देखा एक ख्वाब' (2011-2012), 'परिचय' (2013-2013), 'संस्कार धरोहर अपनो की' (2013-14) जैसे कई टेलीविजन धारावाहिकों में अरुणा अहम किरदार निभा चुकी हैं।