प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। विदेशी जमातियों को प्रयागराज की मस्जिद में छिपाने के आरोपी इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पुलिस ने हफ्तेभर पहले उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यूनिवर्सिटी प्रशासन भी उन्हें सस्पेंड कर चुका है। यूनिवर्सिटी ने उनके खिलाफ अब हाईलेवल जांच कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी में यूनिवर्सिटी के पांच सीनियर प्रोफेसरों को रखा गया है।


प्रोफेसर आरके उपाध्याय की अगुवाई वाली इस जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही प्रोफेसर शाहिद का भविष्य तय होना है। जांच कमेटी में प्रोफेसर शाहिद के साथ ही प्रोफेसर अनुराधा अग्रवाल, प्रोफेसर शबनम हमीद, प्रोफेसर केपी सिंह और रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ला को रखा गया है। रजिस्ट्रार इस जांच कमेटी के सचिव होंगे। कमेटी सभी पहलुओं की पड़ताल करने के बाद अपनी रिपोर्ट कार्य परिषद के सामने रखेगी। जांच कमेटी का गठन यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक वाइस चांसलर प्रोफेसर आरके तिवारी ने किया है।



गौरतलब है कि इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद पिछले महीने नई दिल्ली में हुई तब्लीगी जमात में शामिल हुए थे। जमातियों में कोरोना का संक्रमण फैलने की खबर सामने आने के बाद भी उन्होंने यह बात छिपाए रखी थी और सामने नहीं आए थे। इतना ही नहीं, प्रोफेसर ने इंडोनेशिया से आए सात विदेशी जमातियों को प्रयागराज की अब्दुल्ला मस्जिद में छिपने में भी मदद की थी। प्रोफेसर की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई थी।


प्रोफेसर और विदेशी जमातियों के साथ ही कुल 30 लोगों को 20 अप्रैल की रात को गिरफ्तार कर अगले दिन जेल भेज दिया गया था। प्रोफेसर और बाकी लोग फिलहाल अस्थाई जेल में हैं। यूनिवर्सिटी के पीआरओ प्रोफेसर शैलेन्द्र मिश्र के मुताबिक, यूनिवर्सिटी प्रशासन इस प्रकरण को लेकर गंभीर है और इस मामले में नियमों के मुताबिक कार्यवाही की जा रही है।


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