बागपत के दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में भक्तों की मनोकामना होती है पूरी, जानें इतिहास और मान्यताएं
बागपत के बड़ौत में स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर का इतिहास 650 साल पुराना है. वहीं इस मंदिर में भक्त अपने मनोकामना पूर्ण करने को लेकर हजारों की संख्या में आते हैं.
Digambar Jain Bada Mandir: भारत में अलग अलग धर्म और सभ्यताओं के लोग रहते हैं. यहां अलग-अलग संस्कृति के लोग आपस में प्यार से रहते हैं. भारत अपने इसी खूबसूरती के लिए पूरे दुनिया में जाना भी जाता है. यहां अलग अलग धर्म के कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं जो अपनी मान्यताओं के लिए मशहूर हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बार में बताने जा रहे हैं जो खुद में इतिहास समेटे हुए है. वहीं यहां भक्त अपनी मुराद पूरी करने आते हैं. आज हम आपको बागपत के बड़ौत में श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के बारे में बताएंगे जो 650 साल का इतिहास खुद में समेटे हुए है.
650 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
बागपत के बड़ौत में स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर का इतिहास 650 साल पुराना है. इस मंदिर में विराजमान अतिशयकारी मूर्तियां भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. यहां के मंदिर के दीवारों, छतों पर की गई चित्रकारी, नक्काशी और सोने का काम इतना बेजोड़ है, जिसका कोई साना नहीं है. इस मंदिर में कुल 7 वेदियां है जिन पर अलग-अलग तीर्थकरों की मूर्तियां मौजूद हैं.
वहीं जैन शास्रों के विद्वान डॉ. श्रेयांस जैन बताते हैं कि इस अतिप्राचीन मंदिर की पहली वेदी पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा, दूसरी वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की मूल प्रतिमा और इसी प्रतिमा के बराबर में तीसरी वेदी पर भगवान नेमिनाथ की मूल प्रतिमा है. आपको बता दें कि पूरे विश्व में भगवान नेमिनाथ की प्रतिमाओं में सबसे दुर्लभ प्रतिमा मानी जाती है. यह प्रतिमा श्याम वर्ण में हैं. चौथी वेदी पर चौबीसों भगवान की मूर्तियां विराजमान हैं. चौबीसी में भगवान पार्शनाथ की दिव्य चमत्कारी प्रतिमाम विराजमान है. यह प्रतिमा खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी. वहीं पांचवे वेदी पर खड़गासन में अहरनाथ भगवान विराजमान है. सफेद संगमरमर की इस प्रतिमा में भगवान मुस्कुराते हुए विराजमान है. छठी वेदी पर चंद्रप्रभु भगवान की मूल प्रतिमा है और सातवें वेदी पर भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा मौजूद है.
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