जहां एक तरफ योगी सरकार स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त करके गरीबों के हित की बात कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ रायबरेली का जिला अस्पताल विवादों का अखाड़ा बन चुका है. यहां अक्सर स्वास्थ्य कर्मी तीमारदारों के साथ अभद्रता तो करते ही हैं साथ ही पैसे की वसूली भी करते हैं. ऐसा ही एक मामला महिला जिला अस्पताल से सामने आया है. यहां एक तीमारदार को सिर्फ इस कसूर के लिए पीट दिया गया क्योंकि वह अपने मरीज से मिलना चाह रहा था. इसका घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसके बाद अस्पताल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए और समझौते के जुगाड़ में लग गए हैं.

ये है पूरा मामला


सलोन थाना क्षेत्र का रहने वाला आशीष ने प्रसव के लिए अपनी बहन को महिला जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. देर रात वह अपनी बहन को कुछ दवाइयां व सामग्री देने जा रहा था. लेकिन उसी समय जिला अस्पताल में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने आशीष से धन की मांग की. आशीष ने जब पैसे देने से मना कर दिया तो दोनों में कहासुनी शुरू हो गई. मामला इतना बढ़ गया कि संविदा पर काम कर रहे तीन स्वास्थ्य कर्मियों ने आशीष की जमकर पिटाई कर दी जिसमें वह लहूलुहान हो गया. आशीष का आरोप है कि तीनों ने आग बुझाने वाले सिलेंडर से उसे पीटा जिसके वह घायल हो गया. वहीं लहूलुहान अवस्था में आशीष ने एक वीडियो भी बनवाया और उसमें गुंडागर्दी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की पहचान भी कराई.


महिला जिला अस्पताल में कई विवाद सामने आए हैं


वहीं तीमारदार को अस्पताल में पीटे जाने का वीडियो वायरल होने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है और सभी समझौते के जुगाड़ में लग गए. वैसे ये पहला मामला नहीं है इससे पहले भी  महिला जिला अस्पताल में कई विवाद सामने आए हैं. यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता.  अगर कोई तीमारदार पैसे देने से मना करता है तो उसके साथ अभद्रता की जाती है साथ ही उसके मरीज को वहां से रेफर करने की भी धमकी दी जाती है.



तीमारदार ने अस्पताल प्रशासन से किया समझौता
संविदा पर तैनात रवि पुत्र औसान वार्ड बॉय ,अनिल पुत्र प्रेमलाल गार्ड सहित 3 लोगों पर आशीष को पीटने का आरोप है. वहीं मामला जब कोतवाली पहुंचा तो शहर कोतवाल अतुल सिंह ने सभी आरोपियों को बुलवाया और कार्रवाई में जुट गए. वही इस बात की भनक लगते ही अस्पताल प्रशासन समझौते के जुगाड़ में लग गया और तीमारदार पर दबाव बनाने लगा. मरीज को कोई समस्या ना हो इसलिए तीमारदार ने कार्रवाई ना करने का समझौता भी कर लिया. लेकिन इस तरह की घटनाएं जिला प्रशासन की मुस्तैदी व पारदर्शिता की कलई खोलती हैं.
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