UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं सियासी दल अलग-अलग जातियों को अपनी ओर लाने में जुटे हुए हैं. पहले विपक्षी पार्टियों ने प्रबुद्व वर्ग को साथ लाने के लिए सम्मेलन और सेमिनार शुरू की, तो अब बारी बीजेपी की है. बीजेपी विपक्षी दलों के मुकाबले प्रबुद्ध सम्मेलन को बड़े स्तर पर करने जा रही है. जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र सरकार के तमाम मंत्री शामिल होंगे, इसकी शुरुआत 5 सितंबर से होगी, उस दिन प्रदेश के 17 शहरों में ये प्रबुद्व सम्मेलन एक साथ होगा. यूपी बीजेपी ने जो रणनीति तैयार की है उसके मुताबिक प्रदेश की सभी 403 विधानसभा में यह प्रबुद्ध सम्मेलन 20 सितंबर तक किए जाएंगे. हालांकि बीजेपी के इस प्रमुख सम्मेलन पर अब विपक्षी दल निशाना साध रहे हैं. 


उत्तर प्रदेश के अगर बीते एक दशक के चुनावी इतिहास को देखा जाए तो यह बात साफ तौर पर समझा जा सकता है कि जिस पार्टी को प्रबुद्ध समाज ने अपना समर्थन दिया. वहीं सत्ता पर काबिज हुई है और शायद इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखकर सियासी दल चुनाव से ठीक पहले प्रबुद्ध वर्ग को रिझाने में जुट गए.


सबसे पहले इसकी शुरुआत बहुजन समाज पार्टी ने की. बीएसपी ने 23 जुलाई को अयोध्या में प्रबुद्ध संगोष्ठी करके उन्हें जोड़ने का अभियान शुरू किया. बहुजन समाज पार्टी प्रबुद्व समाज को जोड़ने में लगी तो फिर समाजवादी पार्टी कैसे पीछे रहती, आनन-फानन में समाजवादी पार्टी ने भी प्रबुद्ध सम्मेलनों का कार्यक्रम जारी कर दिया. जिसकी शुरुआत 5 अगस्त को पार्टी के बड़े ब्राह्मण नेता रहे जनेश्वर मिश्र की जयंती के दिन बलिया से हुई.


समाजवादी पार्टी की शुरुआत तो काफी जोरदार रही लेकिन उसके बाद सपा का प्रबुद्ध सम्मेलन बलिया से मऊ तक ही जा पाया और उसके बाद बिल्कुल ठप पड़ गया. पार्टी के जिन नेताओं पर इस प्रबुद्ध सम्मेलन को कराने की जिम्मेदारी थी वह बार-बार यहीं कहते हैं कि बाढ़ और बारिश के चलते अभी इसे रोका गया है. लेकिन अब सत्ताधारी बीजेपी भी प्रबुद्ध वर्ग को अपने साथ लाने में जुट गई है. 


बीजेपी 5 सितंबर से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की शुरुआत करने जा रही है, और पार्टी की तैयारी इस प्रबुद्ध सम्मेलन को बहुत बड़े स्तर पर करने की है. इन प्रबुद्ध सम्मेलनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, महामंत्री संगठन सुनील बंसल समेत केंद्र सरकार के भी तमाम मंत्री शामिल होंगे. दूसरे सियासी दल जहां प्रबुद्ध वर्ग के सम्मेलन जिले-जिले में कर रहे हैं तो वहीं बीजेपी ने जो रणनीति तैयार की है उसके मुताबिक यह प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन प्रदेश की सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में किया जाएगा. जिसमें सरकार के सभी मंत्री, राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सदस्य, विधान परिषद के सदस्य और पार्टी के बड़े पदाधिकारी शामिल होंगे.


बीजेपी ने जो रणनीति तैयार की है उसके मुताबिक सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रबुद्ध वर्ग को साथ लाने की उसकी तैयारी है. आपको बता दें कि 5 सितम्बर से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन शुरू होगा. 5 सितम्बर को प्रदेश के 17 महानगरों में एक साथ होगा सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. 


जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी में, प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह प्रयागराज में, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अयोध्या में, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल लखनऊ में, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कानपुर में, प्रदेश सहसंगठन महामंत्री कर्मवीर सहारनपुर में, इसके साथ ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सांसद रेखा वर्मा चित्रकूट में, राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह मथुरा में, राष्ट्रीय मंत्री और सांसद विनोद सोनकर आगरा में, केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान गाजियाबाद में वीके सिंह मेरठ में, साध्वी निरंजन ज्योति झांसी में, भानु प्रताप वर्मा मुरादाबाद में, कौशल किशोर नोएडा में, बीएल वर्मा बरेली में, पंकज चौधरी गोरखपुर में, अजय मिश्रा टेनी शाहजहांपुर में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की शुरूआत करेगें.


वहीं 6 सितम्बर से 20 सितम्बर के बीच प्रदेश के सभी 403 विधानसभाओं में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. पार्टी का कहना है कि इस सम्मेलन का मकसद किसी खास जाति से नहीं है बल्कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे शिक्षक, प्रोफेसर, इंजीनियर, डॉक्टर, साहित्यकार जैसे समाज के प्रबुद्धवर्ग के साथ पार्टी संवाद करेगी. पार्टी के इस सम्मेलन पर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि आदिकाल से प्रबुद्ध वर्ग का सम्मान होता चला आ रहा है और उनकी पार्टी तो शुरू से ही प्रबुद्ध समाज का सम्मान करती चली आ रही है. 


बीजेपी अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है, एक तरफ जहां प्रबुद्व सम्मेलन की शुरुआत होने जा रही है तो वहीं पार्टी का महिला मोर्चा, किसान मोर्चा, ओबीसी मोर्चा सभी इसी महीने अपनी कार्यसमिति की बैठक भी करने जा रहे हैं. कोई अयोध्या में तो कोई चित्रकूट में अपनी कार्यसमिति की बैठक कर रहा है. बीजेपी के इस प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन पर विरोधी दल निशाना साध रहे हैं. 


विरोधी दलों का साफ तौर पर कहना है कि बीजेपी चाहे कोई भी सम्मेलन रैली क्यों ना कर ले जनता अपना मन बना चुकी है. समाजवादी पार्टी का साफ तौर पर कहना है कि बीजेपी चाहे जितना जोर लगा ले लेकिन प्रदेश की प्रबुद्ध जनता ने तय कर लिया है कि 2022 में बीजेपी को वोट के माध्यम से ऐसा करारा जवाब देगी जो वर्षों तक याद रहेगा. 


वहीं कांग्रेस साफ तौर पर कह रही कि हर मोर्चे पर विफल होने के बाद विषय से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी प्रबुद्ध सम्मेलन करने जा रही है. पार्टी के नेता कह रहे हैं कि बीजेपी की सरकार में युवाओं को रोजगार मांगने पर लाठी मारी गई क्या वह प्रबुद्ध नहीं हैं, गन्ना किसानों के एमएसपी नहीं बढ़ाया क्या वह प्रबुद्ध नहीं है. 


चुनाव अगर उत्तर प्रदेश में हो तो भला जाति समीकरणों को कोई भी पार्टी कैसे छोड़ सकती है. और यहीं वजह है कि अब अलग-अलग जातियों को साथ लाने की कवायद में सभी सियासी दल जुटे हुए हैं, फिर चाहे वह सत्ताधारी बीजेपी हो, बहुजन समाज पार्टी हो, समाजवादी पार्टी हो या फिर कांग्रेस. लेकिन लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है और वही तय करेगी कि 2022 में वह किसे सत्ता की चाबी सौंपेगी.


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