लखनऊ, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनाव में गठबंधन के खराब प्रदर्शन का ठीकरा बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी के सिर फोड़ दिया है। उन्होंने ये तो जरूर कहा कि गठबंधन पर कोई ब्रेक नहीं लग रहा, लेकिन अखिलेश को आगाह करते हुए वो ये कहना भी नहीं भूली कि अगर अखिलेश अपनी पार्टी में बदलवा नहीं ला सके, तो राहें जुदा होना ही ठीक रहेगा। चुनाव नतीजे आने के ठीक 11 दिन के अंदर सपा-बसपा गठबंधन के बीच खिंची इस दरार पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। बीजेपी... जो पहले दिन से इस गठबंधन को महामिलावटी और मौका परस्त बोलती आई है, उसे अब मायावती और अखिलेश को घेरने का मौका मिल गया है।
'चुनावी बुआ' के लिए 'साइकिल' केवल छोटे सफर का जरिया थी
उधर, प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने ट्वीटकर मायावती-अखिलेश को निशाने पर लेते हुए कहा, 'बबुआ की 'चुनावी बुआ' ने गठबंधन तोड़ने की मंशा जताकर स्पष्ट कर दिया है कि 'साइकिल' उनके लिए बड़ा सहारा नहीं, सिर्फ छोटे सफर का जरिया थी। 10 सीट का सफर पूरा हुआ और उन्होंने 'साइकिल' वाले बबुआ को राजनीति की तपती सड़क पर हांफने को छोड़ दिया।' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'आपसी स्वार्थ व निजी सरोकारों की नींव पर खड़े सपा-बसपा गठबंधन का कभी कोई भविष्य नहीं था। अपना अस्तित्व बचाने की जुगत में बुआ-बबुआ बस इस बेमेल गठबंधन को ढो रहे थे। प्रदेश के आगामी उप चुनाव में अकेले लड़ने की बात कर बहन जी ने बता दिया है कि उन्हें अब 'साइकिल' नहीं चाहिए।
गठबंधन तोड़ने की मायावती की आदत: शिव प्रताप
गठबंधन की इस रार पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप ने कहा कि ये तो पहले से ही टूटना तय था, अब जा के टूटा है। बीच चुनाव में ही दोनों दल एक-दूसरे को भला बुरा कहने लगे थे। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने गरीबों का विकास किया है, इस वजह से भाजपा जीती है। साथ ही बीएसपी सुप्रीमो को घेराव करते हुए वो बोले कि मायावती की पहले भी आदत रही है गठबंधन करके तोड़ने की।
BJP ने पहले ही कहा था, ज्यादा दिन नहीं चलेगा गठबंधन : रीता
यूपी में सपा-बसपा गठबंधन टूटने पर योगी सरकार की कैबिनेट मंत्री और इलाहाबाद की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कहा है कि यह ऐलान अप्रत्याशित नहीं है। बीजेपी चुनाव के वक्त से ही कह रही थी कि गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है। गठबंधन के नेताओं को हार का ठीकरा किसी न किसी के सिर फोड़ना ही था, इसलिए मायावती ने अखिलेश को ही निशाना बना डाला। ये गठबंधन नहीं अवसरवाद था। रीता जोशी के मुताबिक, गठबंधन टूटने से 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी फायदे की बात इसलिए नहीं सोच रही है, क्योंकि वह दोनों के साथ मिलने पर भी जीत हासिल कर चुकी है। बीजेपी का तो यह भी मानना है कि अगर सारी विपक्षी पार्टियां साथ मिल जाएंगी, तब भी उसे कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि पीएम मोदी ने विकास की गंगा बहाकर राजनीति का ट्रेंड ही बदल दिया है।
जनता सच पहले से जानती थी: केशव प्रसाद मौर्य
वहीं, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गठबंधन का घेराव करते हुए कहा कि प्रदेश में अपना अस्तित्व बचाने के लिए बुआ-बबुआ साथ-साथ आए थे, लेकिन जनता तो सारा सच पहले से ही जानती थी और उसने सोच समझकर ही वोट किया। उन्होंने कहा कि मायावती ने अपना स्वार्थ सिद्ध होने पर अखिलेश यादव को किक आउट कर दिया है। इस गठबंधन में मायावती को तो फायदा पहुंचा, लेकिन अखिलेश यादव नुकसान में ही रहे। पहले मुलायम सिंह यादव चरखा दांव चलते थे अब मायावती ने उसी चरखा दांव से अखिलेश को चित्त कर दिया है। आज मुलायम सिंह अखिलेश की वजह से काफी आघात महसूस कर रहे होंगे।
SP-BSP का DNA एक नहीं : सिद्धार्थनाथ
कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, 'सपा-बसपा का गठबंधन स्वाभाविक नहीं था, कार्यकर्ताओं में वैमनस्यता हमेशा रही है। एक दूसरे के खिलाफ सबसे ज्यादा मुकदमे तो इनकी ही सरकार में हुए हैं। आज सारे समाज ने बीजेपी को स्वीकार किया है। इनका डीएनए एक नहीं है।