IND vs AUS World Cup 2023 Final: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 का फाइनल खेला जा रहा है. भारतीय टीम के फाइनल तक जाने में यूपी के रहने वाले फिरकी गेंदबाज कुलदीप यादव ने अहम योगदान दिया है. कुलदीप यादव स्पिन गेंदबाजी के बेताज बादशाह हैं, जो बाएं हाथ से अपरंपरागत स्पिन गेंदबाजी करते हैं. 


सक्षम निचले क्रम के बल्लेबाज कुलदीप यादव घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश के लिए खेलते थे. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से महज 65 किलोमीटर दूर उन्नाव जनपद में बसा शिवसिंह खेड़ा गांव कुलदीप यादव का पैतृक गांव है. ऑलराउंडर गेंदबाज कुलदीप यादव का जन्म इसी गांव में हुआ था. करीब 9 साल तक कुलदीप यादव इसी गांव में पले-बड़े और खेले कूदे. 


मैच के लिए गांव वालों ने ली छुट्टी


इसी गांव के किनारे में एक बाग और मैदान है, जहां पर कुलदीप यादव अपने साथियों के साथ मैच खेला करते थे. कुलदीप यादव बचपन में बहुत शरारती थे. जब वह ज्यादा शरारत करते थे तो उनकी मां उनको बांध दिया करती थीं. कुलदीप यादव के पैतृक गांव शिवसिंह खेड़ा में उनके साथियों, उनकी दादी और अन्य परिजन उनके अच्छे प्रदर्शन को लेकर खुश हैं. सभी को फाइनल मैच में कुलदीप यादव से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. इस मैच के लिए गांव के लोगों ने खास इंतजाम किया है. ज्यादातर लोगों ने यहां पर काम पर न जाने का निर्णय लिया है और मैच देखना के लिए छुट्टी ली है. 




क्रिकेट खेलने के लिए कानपुर हुए शिफ्ट


कुलदीप यादव के चाचा ने बताया है कि निश्चित ही इंडिया जीतेगी, बॉलर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. कुलदीप यादव 9 साल तक इस गांव में रहे हैं. उसके बाद वह कानपुर शिफ्ट हो गए थे क्योंकि क्रिकेट खेलने के लिए यहां पर इतनी अच्छी व्यवस्थाएं नहीं थी. बचपन में एक बार कुलदीप का एक्सीडेंट हो गया था. उनको बचपन में बैटिंग बहुत पसंद थी. बॉलिंग तो बाद में शुरू की. कपिल पांडे उनके जो कोच थे. तब से बॉलिंग की तरफ रुझान हुआ था. 


"हमारे कुलदीप का नहीं, हमारी इंडिया का नाम हो"


कुलदीप की दादी ने कहा कि बचपन में कुलदीप खेलकूद में बहुत आगे रहता था. बचपन में बहुत ज्यादा शैतानी भी करता था. इसलिए उसे अक्सर उसकी मां बांध दिया करती थी. जब मैं खेत से आती थी तब उसको खुलवाती और मां को बहुत डांटती थी. इसी शैतानी में जब वह एक दिन पेड़ पर चढ़ा तो उसका हाथ टूट गया था. काफी दिन तक उसको दिक्कतें उठानी पड़ी. हाथ टूटने के बाद उसका जो जज्बा था फिर भी वह कम नहीं हुआ और वह उल्टे हाथ से मैच खेलने लगा. आज वह इतना बढ़िया मैच खेलता है कि देखकर खुश हो जाती हूं. 




इस बार 20 साल बाद ऑस्ट्रेलिया और भारत विश्वकप फाइनल में आमने-सामने हैं. 2011 के बाद भारत का एक बार फिर प्रबल दावेदार बनकर फाइनल खेलने उतरी है. टीम के पीछे स्टेडियम में नीली भारतीय जर्सी पहनकर दर्शकों का अपार समर्थन ही नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की दुआएं व आशीर्वाद भी साथ है. ये पहली बार है जब भारतीय टीम अपराजेय रहकर फाइनल खेलने उतरी है. भारत 10 में से 10 मैच जीत चुकी है. 


ये भी पढ़ें- 


IND vs AUS Final: हरिद्वार में भारत की जीत के लिए शिव का जलाभिषेक, साधु संतों ने किया विशेष अनुष्ठान