Independence Day 2022 News: इटावा के ताखा तहसील का संबंध क्रांतिकारियों की शहादत से है. भारत माता की जय और वंदे मातरम् बोलने से बौखलाए अंग्रेज सैनिकों ने तीन क्रांतिकारियों को गोलियों से छलनी कर दिया था. शहीदों की याद में ताखा के ग्राम नगला ढकाऊ में हर बरस मेला लगता है. 1931 में महात्मा गांधी के आंदोलन की लड़ाई को धार देने के लिए क्रांतिकारियों ने हिस्सा लिया था.


अंग्रेजों के जमीदारों को लगान ना देने पर गोपाल दास यादव को अंग्रेजी हुकूमत ने जेल भेज दिया. कुछ दिनों बाद गोपाल दास यादव की रिहाई पर ताखा ब्लाक के ग्राम नगला ढकाऊ और आसपास के इलाकों में जश्न मनाया गया. भारत माता की जय, वंदे मातरम् के नारे लगाए जा रहे थे. तभी ग्राम नगला ढकाऊ में बनी अंग्रेजों की चौकी से अंग्रेजी फौज के सिपाही गांव में पहुंचते हैं. गांव में पहुंचने के बाद अंग्रेज सैनिक क्रांतिकारियों को नारेबाजी से रोकते हैं लेकिन मना करने पर क्रांतिकारियों के नारे और तेज हो गए.


आजादी के तीन दीवानों ने खाई थी सीने पर गोलियां


बौखलाए अंग्रेज शासकों ने गोली चलाने का हुक्म दे दिया. अंग्रेजी हुकूमत के आदेश पर की गई गोलीबारी में तीन क्रांतिकारी शहीद हो गए. क्रांतिकारियों का नेतृत्व कर रहे ग्राम नगला ढकाऊ के शंकर सिंह यादव, नगरिया यादवान के बलवंत सिंह, ग्राम मामन हिम्मतपुर के भोपाल सिंह शाक्य अंग्रेजी सेना के सामने सीना तान कर खड़े हो गए और जोर-जोर से वंदे मातरम् के नारे लगाने लगे. बौखलाए अंग्रेज सैनिकों ने तीनों क्रांतिकारियों के सीने गोलियों से छलनी कर दिए. तीनों क्रांतिकारियों को होली के सप्तमी पर शहादत नसीब हुई. घटना की जानकारी मिलने पर महात्मा गांधी बेहद दुखी हुए.


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नेहरू के सुझाव पर हर बरस गांव में लगता है मेला


शहीद क्रांतिकारी शंकर सिंह यादव के नाती रामनरेश सिंह ने बताया कि घटना के बाद उनके बाबा शंकर सिंह यादव, बलवंत सिंह यादव, भोपाल सिंह शाक्य के शव महात्मा गांधी ने दिल्ली मंगवाया और जवाहरलाल नेहरू के साथ मिलकर तीनों क्रांतिकारियों का अंतिम संस्कार किया. देश आजाद होने के बाद पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सन 1951 में गांव आए. उन्होंने होली के सप्तमी को क्रांतिकारियों की याद में गांव में शहीदों का मेला लगाने का सुझाव दिया.


नेहरू के सुझाव पर अमल आज तक निरंतर जारी है. सन 1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घटना वाले स्थान पर शहीद स्मारक बनाने का आदेश दिया था. स्मारक आज गांव में प्राथमिक विद्यालय के अंदर मौजूद है. बताया जाता है कि क्रांतिकारियों का जोश देखकर ग्रामीण अंग्रेज शासकों को ताखा से भगाने के लिए खड़े हो गए. 


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