Independence Day 2024: देश की आजादी के 77 साल को कैसे देखते हैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र नेता, जानें राय
India Independence Day 2024: देश में आजादी से लेकर अबतक क्या कुछ बदला? सही मायनों में आजादी का क्या मतलब है? देश की कितनी तरक्की और मजबूती हुई. ऐसे कई मसलों पर छात्र नेताओं ने अपनी राय दी है.
Happy Independence Day 2024: देश की आजादी की 77वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पूरा देश तैयार है. स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन, इसके नायकों को याद किया जा रहा है. सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद और लक्ष्मीबाई जैसी हस्तियों के मातृभूमि के प्रति योगदान और उनके संघर्षों की गाथा हर किसी के जेहन में है.
देश की आजादी की 77 सालों की यात्रा कितनी संघर्षपूर्ण रही? भारत ने उस वक्त से अबतक कितनी तरक्की की है? छात्र नेताओं ने ऐसे कुछ सवालों पर अपनी राय दी है. इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रनेता देश की आजादी के 77 साल को कैसे देखते हैं. आइए जानते हैं.
एनएसयूआई के छात्र नेता ने क्या कहा?
छात्र नेता ऋषि यादव कहते हैं कि देश की आजादी की एक और वर्षगांठ यह सुकून देती है कि हम गुलामी से मुक्त हैं, लेकिन हमें सही मायनों में आजादी अभी तक नहीं मिल सकी है. कहीं जाति के नाम पर तो कहीं धर्म के नाम पर, कहीं क्षेत्र के नाम पर तो कहीं अमीरी गरीबी के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है.
सरकारी योजनाओं का लाभ अब भी गांव और गलियों में अंतिम पायदान पर बैठे लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. आज भी सड़कों पर खुले आसमान के नीचे लाखों लोग अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. तमाम लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता है. न्याय सबके लिए सुलभ नहीं है. मौजूदा सरकार लोगों के अधिकारों को छीन रही है. अधिकारों का हनन किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि यह आजाद और लोकतांत्रिक देश के लिए कतई ठीक नहीं है. संविधान की संकल्पना के आधार पर सभी को गरिमा पूर्वक जीवन जीने का अधिकार मिलना ही चाहिए. इसमें किसी तरह की अड़ंगेबाजी नहीं लगानी चाहिए.
एबीवीपी के छात्र नेता ने कही ये बात
छात्र नेता अभिनव मिश्र कहते हैं कि देश की आजादी की 77 सालों की यात्रा बेहद संघर्षपूर्ण रही है. हम आजाद तो हुए लेकिन हमें एक स्वतंत्र देश के नागरिकों जैसा अधिकार पूर्ण रूप से नहीं मिला. कांग्रेस पार्टी ने इस देश पर तकरीबन छह दशकों तक शासन किया, लेकिन उसका यह शासन देश की प्रगति के बजाय परिवारवाद तक सीमित रहा.
उन्होंने आगे कहा, ''कुछ गिने चुने लोगों को फायदा पहुंचाया गया. देश के विकास के बजाय तुष्टिकरण की राजनीति की गई और वोट बैंक के मद्देनजर भेदभाव कर योजनाओं का लाभ दिया गया. यह अलग बात है कि पिछले 10 सालों में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है.
अभिनव मिश्र ने आगे कहा, ''जरूरत इस बात की है कि हम सभी राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें. एक अच्छे जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बने. देश के विकास और उसकी मजबूती में अपना योगदान दें. अगर ऐसा होता है तो भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बन जाएगा.''
समाजवादी छात्र सभा के छात्र नेता की क्या है राय?
छात्र नेता मोहम्मद सैफ ने भी अपनी राय दी. उन्होंने कहा, ''आजादी के 77 सालों में भारत देश ने बहुत तरक्की की है. देश की आजादी के वक्त यहां सुई तक नहीं बनती थी, लेकिन आज हम परम कंप्यूटर और बड़े-बड़े जहाज बना रहे हैं. दुनिया भर में एक्सपोर्ट कर रहे हैं. दुनिया के विकसित और प्रभावशाली देश भी तमाम मामलों में भारत के पीछे चलते हैं.
सैफ ने आगे कहा, ''भारत गणराज्य की अवधारणा एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की है. देश की तरक्की और मजबूती में हर किसी का अपना योगदान है. हालांकि निजी फायदे और सत्ता प्राप्ति के लिए देश में धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बरगलाने का काम कतई उचित नहीं है. अगर सभी भारतवासी एकजुट होकर देश के अपना योगदान देंगे तो भारत एक बार फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है.
उन्होंने कहा, ''आज जरूरत आजादी का महत्व समझने की है. हमें आपस में लड़ाने का काम विदेशी आक्रांता करते थे. यह वक्त एक दूसरे के खिलाफ जहर उगलने का नहीं बल्कि साथ मिलजुल कर रहने और समूची दुनिया में अनूठी मिसाल पेश करने का है.
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के छात्र नेता ने क्या कहा?
डॉ. विकास स्वरूप ये मानते हैं कि देश की आजादी की लड़ाई में अपना अहम योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों का उद्देश्य भारत को समता मूलक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाने का था. ऐसे में सभी देशवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बिजली, पानी, सड़क, रोटी, कपड़ा, मकान एवं अन्य बुनियादी सुविधाएं अनिवार्य रूप से राज्य द्वारा उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि देश के सभी नागरिक सम्मानजनक एवं गरिमा पूर्ण जीवन जी सकें.
उन्होंने कहा, ''इसके अलावा देश में रहने वाले किसी भी इंसान के साथ जाति, धर्म, जेंडर, भाषा, क्षेत्र और अमीरी गरीबी के आधार पर होने वाले भेदभाव का खात्मा भी होना चाहिए. आजादी के 77 साल सौहार्दपूर्ण वातावरण में बिताना सभी देशवासियों के लिए बड़ी उपलब्धि के समान है.
छात्र नेता ने आगे कहा, ''सभी देशवासियों से अपेक्षा है कि वह राष्ट्र के प्रति समर्पित रहे. भारत वर्ष को प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान दें. बस यह ध्यान रखें कि हम पहले भारतीय हैं और बाद में दूसरे कुछ.''
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