Independence Day 2024: अलीगढ़ की बिटिया में ऐसा हुनर है, जिनके हुनर के दीवाने देश के प्रधानमंत्री तक हो गए. इस बिटिया ने अपनी टीम के साथ मिलकर जहां पहले पत्तों से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक कलाकृति जमीन पर बनाई थी तो वहीं दूसरी ओर वेस्टेज पॉलीथिन से भारत माता का चित्र बनाया था, लेकिन अब 15 अगस्त के पर्व के मौके पर यह बिटिया एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है. वजह है इस बिटिया के अंदर मौजूद हुनन, जिसको लेकर सभी आज तक आश्चर्यचकित हैं. 


अलीगढ़ शहर स्थित अहिल्याबाई होलकर स्टेडियम में बरखा नाम की एक छात्रा अपनी टीम के साथ मिलकर एक कलाकृति तैयार की है. इस कलाकृति में लाल किला और भारत माता के साथ एक सैनिक तिरंगा लहराता हुआ नजर आ रहा है.


वेस्टेज चीजों से बनाया लाल किला 


बनाई गई कलाकृति में बेस्टेज चौबे और धागों का प्रयोग किया गया है, जोकि अब सुर्खियां बन चुका है. बरखा की टीम कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद तीन दिन में सबसे पहले वेस्टेज धागों को इकट्ठा किया, उसके बाद वेस्टेज चोबों को इकट्ठा करते हुए अन्य रंग अन्य तरह की वेस्टेज सामग्रियों से इस कलाकृति को आकार दिया. 3 दिन कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद 15 अगस्त के पर्व के मौके पर पूरी टीम की मेहनत रंग लाई, जिसको देखने अधिकारियों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्र के लोग भी अहिल्याबाई होलकर स्टेडियम पहुंच गए.


टीम वर्क की हो रही खुब तारीफ 


बिटिया के साथ-साथ पूरी टीम की जमकर तारीफ की है. वहीं बरखा ने बताया कि कुछ लोग घरों में से वेस्टेज चीजों को बाहर फेंक देते हैं, जबकि अगर वह चाहे तो बेस्ट चीजों का प्रयोग करके कुछ अच्छी चीज भी बना सकते हैं, जहां पहले बरखा की टीम ने वेस्टेज पॉलीथन से तमाम तरह की कलाकृति तैयार की थी, वहीं अब वेस्टीज चौबे और धागों से नायाब नमूना पेश किया है, जिसको लेकर बरखा ने बताया कि इस पूरी चीज में उनकी पूरी टीम का सहयोग रहा है , जो चीज तैयार की जाती है उसमें जो खर्चा होता है वह बरखा और उसकी पूरी टीम देती है.


वेस्टेज चीजों को सहेज कर रखने का देती है संदेश 


बरखा लगातार देश के लिए समर्पित पेंटिंग आकृति और मोटिवेशन चीजों को बनाकर लोगों को वेस्ट चीजों को सहेज कर रखने का संदेश देती हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग वेस्ट चीजों का ध्यान रखते हुए उन चीजों को भी काम में ले सकें. बरखा ने बताया जो पैसा खर्च होता है, उसको लेकर उनकी टीम काफी सहयोग करती है और मिलजुलकर इस तरह की कलाकृति को तैयार किया जाता है.


क्या सरकार करेगी बरखा की मदद?


अब देखना होगा, सरकार बरखा के हुनर को कोई सहयोग करती है या फिर नहीं. फिलहाल प्रोत्साहन के रूप में अभी तक बरखा को प्रशासनिक मदद नहीं मिली है. बरखा की तरफ से किए गए कार्य लोगों के लिए एक नजीर बन चुके हैं, लेकिन क्या सरकार और प्रशासन बरखा को आगे लाने के लिए कोशिश करेगा या फिर नहीं फिलहाल अलीगढ़ की बरखा चर्चाओं का केंद्र बन चुकी हैं.


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